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Up Kiran, Digital Desk: भारत की विदेश नीति से जुड़ी एक बहुत बड़ी खबर आ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने की 29 तारीख को जापान के दौरे पर जा रहे हैं। यह कोई आम दौरा नहीं है, बल्कि भारत और जापान के बीच होने वाली सबसे महत्वपूर्ण सालाना बैठक है।

इस बार यह बैठक और भी खास हो गई है क्योंकि जापान में सत्ता बदल चुकी है और वहां नए प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने पद संभाला है। प्रधानमंत्री मोदी की उनके साथ यह पहली आमने-सामने की मुलाकात होगी।

क्यों है ये दौरा इतना खास?

भारत और जापान आज के समय में बहुत गहरे दोस्त और रणनीतिक साझेदार हैं। आसान भाषा में कहें तो दोनों देश हर बड़े मुद्दे पर एक-दूसरे का साथ देते हैं, चाहे वो व्यापार हो, टेक्नोलॉजी हो या फिर हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा का मामला हो।

जब किसी देश में कोई नया नेता आता है, तो उसके साथ पहली मुलाकात भविष्य के रिश्तों की नींव रखती है। यह दौरा यह तय करेगा कि नए प्रधानमंत्री इशिबा के नेतृत्व में भारत और जापान की दोस्ती और कितनी मजबूत होगी।

किन बड़े मुद्दों पर होगी बात?

इस बैठक में कई ऐसे मुद्दों पर चर्चा होगी, जिनका सीधा असर भारत के विकास और सुरक्षा पर पड़ता है। चलिए जानते हैं कि एजेंडे में क्या-क्या शामिल हो सकता है:

रक्षा और सुरक्षा: चीन की बढ़ती ताकत को देखते हुए भारत और जापान के बीच रक्षा सहयोग बहुत अहम है। दोनों देश मिलकर अपनी सेनाओं को और मजबूत करने, साथ में सैन्य अभ्यास करने और नई रक्षा तकनीकों पर काम करने को लेकर बातचीत करेंगे।

व्यापार और टेक्नोलॉजी: जापान टेक्नोलॉजी के मामले में दुनिया का गुरु माना जाता है। इस बैठक में बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की प्रगति के अलावा सेमीकंडक्टर (चिप), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और 5G/6G टेक्नोलॉजी पर मिलकर काम करने को लेकर बड़ी घोषणाएं हो सकती हैं।

कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स: जापान भारत के पूर्वोत्तर राज्यों (Northeast) में सड़क और पुल बनाने में बहुत मदद कर रहा है। इन प्रोजेक्ट्स की समीक्षा की जाएगी और भविष्य की योजनाओं पर भी बात होगी।

इंडो-पैसिफिक और क्वाड: समुद्र में सभी देशों की आजादी बनी रहे और किसी एक देश का दबदबा न हो, इसके लिए भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया मिलकर 'क्वाड' (Quad) में काम करते हैं। इस बैठक में इस साझेदारी को और मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा।

क्या हैं उम्मीदें: यह दौरा सिर्फ एक मुलाकात नहीं, बल्कि एशिया के दो बड़े और भरोसेमंद दोस्तों के बीच रिश्तों को एक नए स्तर पर ले जाने का एक बड़ा मौका है। इस बैठक से निकलने वाले फैसले न केवल दोनों देशों के लिए फायदेमंद होंगे, बल्कि पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने में भी मदद करेंगे।