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Up Kiran, Digital Desk: आज के दौर में, कार्यस्थल सिर्फ करियर बनाने या जीविका कमाने का स्थान नहीं रह गया है। यह तेजी से एक ऐसे ठिकाने में बदल रहा है जहाँ लोग अपने व्यक्तिगत और वैवाहिक जीवन की उलझनों से राहत पाने के लिए भावनात्मक सहारा ढूँढ रहे हैं। 'दिल के मामले' अब सिर्फ घर तक सीमित नहीं रहे, बल्कि ऑफिस की चारदीवारी में भी पनप रहे हैं।

यह सिर्फ सुविधा या समान रुचि का मामला नहीं है, बल्कि कई बार यह व्यक्तिगत रिश्तों, खासकर वैवाहिक जीवन की चुनौतियों और भावनात्मक दूरी से बचने का एक तरीका बन जाता है। जब घर पर उन्हें वह भावनात्मक जुड़ाव, सराहना या समझ नहीं मिलती, तो वे अनजाने में ही इसे कार्यस्थल पर खोजने लगते हैं।

कार्यस्थल क्यों बन रहा है 'इमोशनल एस्केप'?

समय और निकटता: हम अपने सहकर्मियों के साथ दिन का एक बड़ा हिस्सा बिताते हैं। एक ही लक्ष्य पर काम करना, चुनौतियों का सामना करना और छोटी-छोटी जीत का जश्न मनाना, लोगों को स्वाभाविक रूप से एक-दूसरे के करीब लाता है।

समान रुचियाँ और समझ: अक्सर ऑफिस में आपको ऐसे लोग मिल जाते हैं जो आपके पेशेवर मुद्दों, तनाव और महत्वाकांक्षाओं को समझते हैं, क्योंकि वे भी उन्हीं परिस्थितियों से गुजर रहे होते हैं। यह समान धरातल एक मजबूत बंधन बना सकता है।

भावनात्मक समर्थन: जब किसी व्यक्ति के निजी रिश्तों में संवाद की कमी हो या भावनात्मक दूरी आ जाए, तो ऑफिस का कोई साथी एक भरोसेमंद हमदर्द बन सकता है, जिससे वे अपनी परेशानियाँ साझा कर सकें। यह समर्थन अक्सर घर पर न मिलने वाली भावनात्मक जरूरतों को पूरा करता है।

सराहना और वैधीकरण: काम पर मिली पहचान और सराहना, खासकर अगर घर पर इसकी कमी हो, तो व्यक्ति को अच्छा महसूस करा सकती है। यह सकारात्मक प्रतिक्रिया एक भावनात्मक पुल बना देती है।

पलायन की प्रवृत्ति: घरेलू मोर्चे पर असंतोष, बोरियत या अकेलेपन की भावना लोगों को कार्यस्थल पर एक नया भावनात्मक जुड़ाव तलाशने के लिए प्रेरित कर सकती है, जो उन्हें उनकी वर्तमान परिस्थितियों से अस्थायी राहत प्रदान करता है।

धीरे-धीरे पेशेवर और व्यक्तिगत सीमाओं के बीच की रेखा धुंधली होने लगती है। बातचीत काम से हटकर व्यक्तिगत मुद्दों पर होने लगती है, और समर्थन व्यावसायिक दायरे से बढ़कर भावनात्मक स्तर पर पहुँच जाता है। हालांकि यह 'पलायन' अस्थायी राहत दे सकता है, लेकिन इसके गंभीर पेशेवर और व्यक्तिगत परिणाम भी हो सकते हैं, जैसे करियर को नुकसान, प्रतिष्ठा पर दाग और रिश्तों में और अधिक जटिलताएँ।

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