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Up Kiran, Digital Desk: तमिलनाडु सरकार ने राज्य की स्कूली शिक्षा में एक बड़ा और महत्वपूर्ण बदलाव किया है। अब सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पहली कक्षा से लेकर नौवीं कक्षा तक के छात्रों को हर महीने एक परीक्षा देनी होगी। इस नए नियम का मकसद रट्टा मारकर साल के अंत में परीक्षा देने वाली पुरानी परंपरा को खत्म करना और बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को ज्यादा प्रभावी और निरंतर बनाना है।

क्यों लिया गया यह फैसला?

यह फैसला सिर्फ बच्चों पर बोझ डालने के लिए नहीं, बल्कि उनकी पढ़ाई को और आसान और मजेदार बनाने के लिए लिया गया है। इस नए सिस्टम के पीछे की सोच बहुत गहरी है:

साल भर की पढ़ाई का बोझ खत्म: अक्सर देखा जाता है कि बच्चे साल के अंत में आने वाली बड़ी परीक्षाओं के दबाव में रहते हैं। यह नया नियम इस बोझ को कम करेगा। जब हर महीने छोटी-छोटी परीक्षाएं होंगी, तो बच्चों को एक साथ पूरे साल का सिलेबस याद करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

कहां कमजोर है बच्चा, तुरंत चलेगा पता: इन मासिक परीक्षाओं से शिक्षकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि कौन सा छात्र किस विषय में या किस टॉपिक में कमजोर है। इससे वे समय रहते उस बच्चे पर अतिरिक्त ध्यान दे पाएंगे और उसकी मदद कर सकेंगे, बजाय इसके कि सीधे फाइनल एग्जाम में बच्चे के फेल होने का इंतजार किया जाए।

निरंतर सीखने की आदत: यह सिस्टम बच्चों में साल भर लगातार थोड़ा-थोड़ा पढ़ने की आदत डालेगा, जो सिर्फ परीक्षा पास करने के लिए नहीं, बल्कि वास्तव में ज्ञान अर्जित करने के लिए बहुत जरूरी है।

माता-पिता भी रहेंगे अपडेट: हर महीने होने वाली इन परीक्षाओं से माता-पिता भी अपने बच्चे की प्रगति के बारे में लगातार अपडेट रहेंगे। उन्हें यह पता चलेगा कि उनका बच्चा स्कूल में कैसा प्रदर्शन कर रहा है और उसे कहां मदद की जरूरत है।

यह कदम तमिलनाडु की शिक्षा प्रणाली को और आधुनिक और छात्र-केंद्रित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इससे उम्मीद की जा रही है कि बच्चों का न केवल अकादमिक प्रदर्शन सुधरेगा, बल्कि उनके ऊपर से पढ़ाई का अनावश्यक तनाव भी कम होगा।

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