Up Kiran, Digital Desk: आजकल की डिजिटल दुनिया में जहां एक तरफ काम आसान हो गए हैं, वहीं दूसरी ओर ऑनलाइन धोखाधड़ी का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है. इसी को देखते हुए ओडिशा सरकार ने राज्य में बढ़ते साइबर फ्रॉड के मामलों पर चिंता जताई है और इससे निपटने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने सभी बैंकिंग संस्थानों से अपील की है कि वे इस समस्या को रोकने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों का पूरा सहयोग करें.
क्यों पड़ी इस कदम की ज़रूरत?
दरअसल, पिछले कुछ समय से ओडिशा में कई तरह के साइबर फ्रॉड के मामले सामने आ रहे हैं. इनमें इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग के नाम पर धोखाधड़ी, डिजिटल अरेस्ट स्कैम, घर बैठे नौकरी (work-from-home) के फर्जी ऑफर्स और सोशल मीडिया से जुड़े फ्रॉड शामिल हैं. पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वाई बी खुराना के अनुसार, ये मामले जनता की सुरक्षा के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गए हैं.
बैठक में यह बात सामने आई कि साइबर अपराधी अक्सर 'म्यूल अकाउंट्स' का इस्तेमाल करते हैं. ये ऐसे बैंक खाते होते हैं जिन्हें धोखे से या कुछ पैसों का लालच देकर खुलवाया जाता है और फिर उनका इस्तेमाल धोखाधड़ी के पैसे को घुमाने के लिए किया जाता है. डीजीपी ने बैंकों से ऐसे खातों को खोलने पर सख्ती बरतने और तुरंत सुधारात्मक कार्रवाई करने की सलाह दी है.
मिलकर लड़ने की तैयारी
इस महत्वपूर्ण बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया. उन्होंने बताया कि RBI साइबर फ्रॉड और म्यूल अकाउंट्स जैसी समस्याओं से निपटने के लिए पहले से ही कई कदम उठा रहा है. इसमें सुरक्षा नियमों को मजबूत करना, जांच एजेंसियों के साथ मिलकर काम करना और ग्राहकों को सुरक्षित बैंकिंग के तरीकों के बारे में जागरूक करना शामिल है.
विकास आयुक्त अनु गर्ग ने इस बात पर जोर दिया कि लोगों को पोंजी स्कीमों और अन्य गैरकानूनी जमा योजनाओं से बचाने के लिए एक बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन प्रचार सहित सभी माध्यमों का इस्तेमाल करके लोगों को शिक्षित किया जाना चाहिए ताकि वे अपनी मेहनत की कमाई को धोखेबाजों के हाथों में न गंवाएं.
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