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Up Kiran, Digital Desk: भारत में कॉस्मेटिक्स उद्योग जल्द ही एक बड़े नियामक परिवर्तन से गुजरने वाला है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत नई दिल्ली स्थित नई दिल्ली में स्थित डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCI) कॉस्मेटिक्स उद्योग के लिए कड़े नियम लागू करने की तैयारी में है। इन नए नियमों का उद्देश्य उपभोक्ता सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देना और बाजार में घटिया या मिलावटी सौंदर्य उत्पादों के प्रवेश को रोकना है। इन नियमों के तहत, 'नाम और बदनामी' (naming and shaming) जैसे प्रावधान भी शामिल किए जा सकते हैं, जिससे नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों पर नकेल कसी जाएगी।

'नाम और बदनामी' का प्रावधान: क्यों और कैसे?

नए नियमों का एक प्रमुख पहलू यह है कि नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों के नामों को सार्वजनिक किया जाएगा, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचे। यह 'नाम और बदनामी' का प्रावधान कंपनियों को उच्च गुणवत्ता मानकों का पालन करने और सुरक्षा दिशानिर्देशों का सख्ती से अनुपालन करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। इस कदम का उद्देश्य उपभोक्ताओं को भ्रामक दावों और हानिकारक अवयवों वाले उत्पादों से बचाना है।

गुणवत्ता और सुरक्षा पर होगा ज़ोर: यह नियामक बदलाव भारतीय कॉस्मेटिक्स बाजार में गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर एक नया मानक स्थापित करेगा। नए नियम उत्पाद लेबलिंग, सामग्री की सूची, मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस और सुरक्षा परीक्षणों पर कड़े दिशानिर्देश प्रदान करेंगे। कंपनियां अब केवल आकर्षक पैकेजिंग या भ्रामक विज्ञापनों के सहारे बाजार में नहीं टिक पाएंगी, बल्कि उन्हें उत्पाद की गुणवत्ता और सुरक्षा पर खरा उतरना होगा।

DGCI की भूमिका और प्रभाव: कॉस्मेटिक्स उद्योग के लिए यह एक महत्वपूर्ण मोड़ है। DGCI इस नियामक ढांचे को लागू करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इन कड़े नियमों के लागू होने से ईमानदार निर्माताओं को लाभ होगा, जो पहले से ही उच्च मानकों का पालन कर रहे हैं। वहीं, जो कंपनियां कम गुणवत्ता वाले उत्पादों या नकली सामग्री का उपयोग करती हैं, उन्हें बाजार से बाहर होना पड़ सकता है।

उपभोक्ताओं के लिए क्या है खास?

यह बदलाव उपभोक्ताओं के लिए अत्यंत फायदेमंद साबित होगा। अब वे अधिक आत्मविश्वास के साथ सौंदर्य उत्पादों को खरीद पाएंगे, यह जानते हुए कि वे सुरक्षा और गुणवत्ता के कड़े मानकों का पालन करते हैं। यह स्वास्थ्य जोखिमों को कम करेगा और बाजार में विश्वास का माहौल बनाएगा।

भारत सरकार का यह कदम 'डिजिटल इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसे अभियानों के साथ मिलकर 'सुरक्षित भारत' की ओर एक मजबूत कदम है, जहाँ उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।

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