img

Up Kiran, Digital Desk: एआई स्टार्टअप 'क्लुेली' के सीईओ ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया है, जिसने टेक जगत में बहस छेड़ दी है। उन्होंने 'वर्क-लाइफ बैलेंस' (काम और निजी जीवन के बीच संतुलन) को एक 'मिथक' बताते हुए कहा है कि एक एआई स्टार्टअप में 'काम ही हमारी जिंदगी है'।

सीईओ का यह बयान स्टार्टअप संस्कृति की उस तीव्र, जुनून भरी दुनिया को दर्शाता है, जहाँ संस्थापक और शुरुआती कर्मचारी अपने सपने को साकार करने के लिए अथक परिश्रम करते हैं। उनका मानना है कि एक सफल एआई उत्पाद बनाने के लिए सिर्फ घंटों काम करना ही काफी नहीं है, बल्कि काम को ही अपनी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बनाना पड़ता है।

उनके अनुसार, 'वर्क-लाइफ बैलेंस' का विचार पारंपरिक कॉर्पोरेट सेटअप के लिए हो सकता है, लेकिन एआई स्टार्टअप जैसी तेजी से बदलती और प्रतिस्पर्धी जगह में यह संभव नहीं है। यहाँ हर पल नए नवाचार, चुनौतियाँ और विकास के अवसर होते हैं, जिनके लिए निरंतर समर्पण और उच्च स्तर की ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

यह दृष्टिकोण निश्चित रूप से अत्यधिक समर्पण और तेजी से विकास को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन यह 'बर्नआउट' (अत्यधिक काम से होने वाली मानसिक और शारीरिक थकावट) और कर्मचारियों के समग्र कल्याण को लेकर भी सवाल खड़े करता है। हालांकि, कुछ लोग इसे सफलता के लिए आवश्यक बताते हैं, वहीं कई अन्य कर्मचारी कल्याण और दीर्घकालिक उत्पादकता के लिए संतुलन को महत्वपूर्ण मानते हैं।

टेक उद्योग में, खासकर स्टार्टअप्स में, 'वर्क-लाइफ बैलेंस' बनाम 'काम ही जीवन' की यह बहस नई नहीं है, लेकिन एआई के विस्फोटक विकास के साथ यह और भी प्रासंगिक हो गई है। क्लुेली के सीईओ का बयान इस बात पर प्रकाश डालता है कि उच्च-विकास वाले उद्योगों में सफलता पाने के लिए कितनी प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है, भले ही इसके लिए व्यक्तिगत जीवन की कुछ हद तक अनदेखी करनी पड़े।

--Advertisement--