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Up Kiran, Digital Desk: कर्नाटक के बेल्लारी और विजयनगर जिले, जो पहले से ही सूखे और पानी की कमी के लिए जाने जाते हैं, अब एक गंभीर भूजल संकट से जूझ रहे हैं। स्थिति की भयावहता को देखते हुए, कर्नाटक के उप-लोकायुक्त, जस्टिस के.एन. फणींद्र ने दोनों जिलों के प्रशासन को कड़ी फटकार लगाते हुए भूजल स्तर को रिचार्ज करने के लिए तत्काल और ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

जस्टिस फणींद्र ने बेल्लारी और विजयनगर के उपायुक्तों (DCs) और जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (CEOs) को एक स्पष्ट निर्देश में कहा है कि वे भूजल रिचार्ज से जुड़ी योजनाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।

क्यों आई यह नौबत?

बेल्लारी और विजयनगर जिले कम वर्षा और भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण गंभीर संकट में हैं। बोरवेल हजारों फीट नीचे तक खोदे जा रहे हैं, फिर भी पानी नहीं मिल रहा है। इस अंधाधुंध इस्तेमाल ने क्षेत्र के जलभृतों (Aquifers) को लगभग सुखा दिया है, जिससे पीने के पानी और खेती के लिए एक अभूतपूर्व संकट खड़ा हो गया है।

उप-लोकायुक्त ने अपने दौरे के अनुभवों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने खुद सूखे बोरवेल और पानी के लिए तरसते लोगों की दुर्दशा देखी है। उन्होंने अधिकारियों के केवल "कागजी कार्रवाई" करने और जमीन पर कोई ठोस काम न करने के रवैये पर गहरी नाराजगी जताई।

उप-लोकायुक्त के कड़े निर्देश:

जस्टिस फणींद्र ने अधिकारियों को इसे "पवित्र कर्तव्य" बताते हुए कई विशिष्ट कदम उठाने को कहा है:

वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting): बारिश के पानी को बचाने और उसे जमीन के अंदर पहुंचाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जाए।

चेक डैम और रिसाव टैंक का निर्माण: छोटी नदियों और नालों पर चेक डैम और पानी को सोखने के लिए रिसाव टैंक (Percolation Tanks) बनाए जाएं।

झीलों-तालाबों से गाद निकालें: गर्मियों का मौसम इस काम के लिए सबसे उपयुक्त है जब ज्यादातर जल स्रोत सूखे होते हैं। इन तालाबों और झीलों से गाद निकालकर उनकी जल भंडारण क्षमता को बढ़ाया जाए।

अतिक्रमण हटाएं: सभी जल निकायों पर से अवैध कब्जों को तुरंत हटाया जाए ताकि उनमें पानी का प्राकृतिक प्रवाह बना रहे।

उन्होंने जोर देकर कहा कि इन उपायों से न केवल भूजल स्तर में सुधार होगा, बल्कि यह किसानों, ग्रामीणों और आम जनता के लिए भी जीवनदायी साबित होगा, जिन्हें हर साल पीने के पानी की किल्लत का सामना करना पड़ता है। यह निर्देश इन दोनों जिलों के लिए एक आखिरी चेतावनी की तरह है, जहां अगर पानी को नहीं बचाया गया, तो भविष्य और भी भयावह हो सकता है।