Up Kiran, Digital Desk: चंडीगढ़, जिसे "सिटी ब्यूटीफुल" के नाम से जाना जाता है, अपनी खूबसूरती और साफ-सफाई के लिए मशहूर है. लेकिन बीते कुछ समय से यहां निजी वाहनों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय बन गई है. सड़कों पर गाड़ियों की भीड़ से न सिर्फ ट्रैफिक जाम बढ़ता है, बल्कि प्रदूषण भी बढ़ रहा है, जिससे हमारी हवा जहरीली हो रही है.
हाल ही में, ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (CEEW) के विशेषज्ञों ने एक गोलमेज चर्चा में इस बात पर जोर दिया कि चंडीगढ़ को अब साफ-सुथरे परिवहन विकल्पों की तरफ बढ़ने की सख्त जरूरत है. उनका कहना है कि अगर हमने अभी ध्यान नहीं दिया, तो आने वाले समय में शहर में उत्सर्जन (emissions), भीड़भाड़ और ऊर्जा की मांग और भी ज्यादा बढ़ जाएगी.
बदलना क्यों है जरूरी?
हम सभी जानते हैं कि अपनी निजी गाड़ी में सफर करना कितना आरामदायक होता है, लेकिन इसके कुछ छिपे हुए नुकसान भी हैं. ज्यादा गाड़ियां मतलब ज्यादा धुआँ, जो हमारे बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है. साथ ही, पेट्रोल-डीजल पर हमारी निर्भरता भी बढ़ती है, जिसका सीधा असर हमारी जेब और देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है.
क्या हैं समाधान? विशेषज्ञों की राय:
CEEW के शोधकर्ताओं ने कुछ अहम सुझाव दिए हैं, जो चंडीगढ़ को एक टिकाऊ और सबको साथ लेकर चलने वाला परिवहन सिस्टम बनाने में मदद कर सकते हैं.
बसों का बेड़ा बढ़ाएं: सार्वजनिक बस सेवा को और मजबूत करने की जरूरत है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसका इस्तेमाल करें और अपनी गाड़ियां कम निकालें. ई-रिक्शा और ऑटो को बढ़ावा: ऑटो-रिक्शा और विक्रम जैसे इंटरमीडिएट पब्लिक ट्रांसपोर्ट (IPTs) का इलेक्ट्रिफिकेशन करना एक शानदार कदम होगा. इससे न सिर्फ प्रदूषण कम होगा, बल्कि ड्राइवर भाइयों की आय में भी सुधार होगा. महिलाओं की भागीदारी: परिवहन क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना भी एक महत्वपूर्ण कदम है, ताकि शहरों में सबकी पहुंच वाला परिवहन सुनिश्चित हो सके.
इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ बढ़ता भारत
अच्छी बात यह है कि पूरे भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) का चलन तेजी से बढ़ रहा है. पिछले वित्त वर्ष (2024-25) में 10 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहन बिके हैं. खासकर इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर (e3W) सेगमेंट में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली है. पंजाब के अमृतसर में "राही" (RAAHI) प्रोजेक्ट एक बेहतरीन मिसाल है, जहाँ डीजल ऑटो-रिक्शा को इलेक्ट्रिक में बदलने के लिए सब्सिडी और बैंक लोन जैसी सुविधाएं दी गईं. इससे 1200 से ज्यादा पुराने डीजल वाहनों को बदलकर इलेक्ट्रिक किया गया, जिससे ड्राइवरों की कमाई भी बढ़ी और प्रदूषण भी काफी कम हुआ.
चंडीगढ़ भी उठा रहा है कदम:
चंडीगढ़ प्रशासन भी स्वच्छ परिवहन की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है. प्रशासन ने जुलाई से पेट्रोल-डीजल वाले दोपहिया वाहनों और दिसंबर से ईंधन आधारित कारों के नए रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाने की घोषणा की हैइसके अलावा, इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2022 के तहत शहर में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है. हालाँकि, निजी इलेक्ट्रिक कारों पर मिलने वाली सब्सिडी अब बंद कर दी गई है क्योंकि उसका कोटा पूरा हो चुका है, लेकिन ई-बाइक, ई-साइकिल और कमर्शियल इलेक्ट्रिक वाहनों पर अभी भी सब्सिडी मिल रही है. इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों को मुफ्त पार्किंग और पांच साल के लिए रजिस्ट्रेशन शुल्क व रोड टैक्स में छूट जैसी सुविधाएं भी दी जा रही हैं.
ये सभी पहलें चंडीगढ़ को एक "मॉडल EV सिटी" बनाने के लक्ष्य का हिस्सा हैं, जहाँ 2027 तक शून्य-उत्सर्जन वाहनों की सबसे ज्यादा स्वीकार्यता हो. उम्मीद है कि इन प्रयासों से हमारा प्यारा चंडीगढ़ फिर से साफ-सुथरी हवा में साँस ले पाएगा.
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