
Up Kiran, Digital Desk: कर्जदारों के लिए एक बेहद राहत भरी खबर सामने आई है। देश के तीन बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों – भारतीय स्टेट बैंक (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) और इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) – ने अपनी Marginal Cost of Funds Based Lending Rate (MCLR) दरों में कटौती की है। यह फैसला उन सभी के लिए एक बड़ी खुशखबरी है जिनके होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन या अन्य लोन MCLR से जुड़े हुए हैं। इस कटौती के साथ ही, इन बैंकों से ऋण लेने वाले लाखों ग्राहकों की EMI (मासिक किस्त) में कमी आने की उम्मीद है।
MCLR क्या है और यह आपके लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
MCLR, यानी Marginal Cost of Funds Based Lending Rate, वह न्यूनतम ब्याज दर है जिस पर बैंक विभिन्न प्रकार के ऋण प्रदान करते हैं। इसे अप्रैल 2016 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा पेश किया गया था, ताकि मौद्रिक नीति में बदलावों का असर ऋणों पर जल्दी पड़े और ग्राहकों को इसका लाभ मिल सके। MCLR को बैंकों की फंडिंग लागत के आधार पर तय किया जाता है, जिसमें विभिन्न स्रोतों से पैसा जुटाने की लागत, परिचालन लागत और लाभ मार्जिन शामिल होते हैं। जब बैंक MCLR कम करते हैं, तो इसका सीधा मतलब होता है कि उनकी उधार देने की लागत कम हो गई है, जिसका फायदा वे अपने ग्राहकों को देते हैं।
बैंकों द्वारा MCLR कटौती का विवरण:
भारतीय स्टेट बैंक (SBI): SBI ने सभी अवधियों (tenors) के लिए अपनी MCLR दरों में 5 बेसिस पॉइंट (bps) की कटौती की है। यह बदलाव 15 अगस्त, 2025 से प्रभावी है। SBI की एक साल की MCLR अब 8.75% हो गई है।[1][2]
बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB): बैंक ऑफ बड़ौदा ने भी अपनी MCLR दरों में कटौती की है। उन्होंने एक महीने की MCLR को 35 bps घटाकर 7.95% कर दिया है, जबकि छह महीने की MCLR को 8.75% से घटाकर 8.65% और एक साल की MCLR को 8.9% से घटाकर 8.8% कर दिया है। यह दरें 12 अगस्त, 2025 से लागू हैं।[1][3]
इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB): IOB ने सभी अवधियों के लिए अपनी MCLR में 10 बेसिस पॉइंट (bps) की कमी की है। यह नई दरें 15 अगस्त, 2025 से प्रभावी हैं।[1][2][4]
कर्जदारों को क्या होगा फायदा?
जब बैंक MCLR दरों में कटौती करते हैं, तो MCLR से जुड़े सभी फ्लोटिंग-रेट लोन (जैसे होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन) की ब्याज दरें भी कम हो जाती हैं। इसका सीधा असर ग्राहकों की EMI पर पड़ता है। EMI की राशि कम हो जाती है, जिससे ग्राहकों को हर महीने वित्तीय राहत मिलती है। उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति का होम लोन 20 लाख रुपये का है और MCLR में 0.10% (10 bps) की कमी आती है, तो उसकी वार्षिक ब्याज लागत में हजारों रुपये की बचत हो सकती है, जो मासिक EMI में भी परिलक्षित होगी।
क्या आप भी हैं प्रभावित? जानें आगे क्या करें!
यदि आपका लोन SBI, बैंक ऑफ बड़ौदा या इंडियन ओवरसीज बैंक से MCLR-लिंक्ड है, तो आपको निश्चित रूप से अपनी EMI में कमी देखने को मिलेगी। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह बदलाव आपके अगले लोन रीसेट डेट पर लागू होगा। हर बैंक की अपनी रीसेट डेट होती है (आमतौर पर हर 12 महीने में एक बार)।
सलाह:
अपने बैंक से संपर्क करें: अपनी EMI में कितनी कमी आएगी, यह जानने के लिए अपने बैंक से संपर्क करें और अपनी वर्तमान MCLR-लिंक्ड ब्याज दर की पुष्टि करें।
होम लोन को MCLR पर स्विच करने पर विचार करें: यदि आपका होम लोन अभी भी पुरानी बेस रेट प्रणाली पर है, तो आप MCLR मोड पर स्विच करने के बारे में सोच सकते हैं, जिससे आपको ब्याज दरों में अधिक पारदर्शिता और फ्लोटिंग रेट का लाभ मिल सकता है।
यह कदम RBI की मौद्रिक नीति के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ाना और उधार को बढ़ावा देना है। इन बैंकों द्वारा MCLR में की गई कटौती निश्चित रूप से उपभोक्ताओं के लिए एक सकारात्मक संकेत है।