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Up Kiran, Digital Desk: हमें लगता है कि सेहत के असली दुश्मन बाहर हैं—प्रदूषण, जंक फूड, या नींद की कमी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे बड़ा खतरा तो ठीक आपके नीचे है: वह कुर्सी जिस पर आप हर दिन घंटों बिताते हैं। नई रिसर्च बताती है कि लंबे समय तक डेस्क पर बैठे रहना 30 से 40 की उम्र के युवाओं में भी चुपचाप गंभीर और पुरानी बीमारियों को जन्म दे रहा है।
जो बीमारियाँ पहले बुढ़ापे या अधेड़ उम्र में होती थीं, वे अब करियर की शुरुआत में ही दस्तक दे रही हैं। फैटी लिवर से लेकर डायबिटीज तक, और हाई ब्लड प्रेशर से लेकर दिल की बीमारियों तक—डॉक्टर चेतावनी दे रहे हैं कि आज का 9-से-5 का लाइफस्टाइल ऑफिस की कुर्सियों को एक ‘धीमा और खामोश कातिल’ बना रहा है। और सबसे डरावनी बात यह है कि ज़्यादातर लोगों को इसका अंदाज़ा तब तक नहीं होता, जब तक बहुत देर नहीं हो जाती।
बहुत देर तक बैठने का खतरा: सिर्फ पीठ दर्द से कहीं ज़्यादा
'इंडियन वर्कप्लेस वेलबीइंग रिपोर्ट', जो 46,000 कर्मचारियों के डेटा पर आधारित है, बताती है कि नींद की समस्या, हृदय रोग और थायरॉइड जैसी बीमारियाँ अब 40 साल से कम उम्र के लोगों में भी आम हो गई हैं।
जब आप घंटों बैठते हैं तो आपके शरीर के अंदर क्या होता है?
डॉक्टरों का कहना है कि लंबे समय तक बैठे रहने से:
आपका मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे शरीर का इंसुलिन और फैट को संभालने का तरीका गड़बड़ा जाता है।
खून का दौरा (Blood Circulation) बाधित होता है, जिससे आपके दिल को सुस्त पड़े अंगों तक खून पहुँचाने के लिए ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
आपकी रीढ़ की हड्डी दबती है और कोर मसल्स कमज़ोर होती हैं, जिससे कमर में स्थायी दर्द और पोस्चर खराब हो जाता है।
एक दिल के डॉक्टर बताते हैं कि उन्होंने एक 42 साल के आईटी प्रोफेशनल को देखा, जिसे पहले कभी दिल की बीमारी नहीं थी, लेकिन रोज़ाना 10 घंटे बैठने की वजह से उसे शुरुआती कोरोनरी आर्टरी बीमारी हो गई थी।
9-से-5 की नौकरी इतनी खतरनाक क्यों है?बैठने का जाल: ज़्यादातर नौकरियों में मीटिंग, ईमेल और स्क्रीन टाइम के लिए लगातार बैठना पड़ता है।
नुकसान दिखाई नहीं देता: इंसुलिन रेजिस्टेंस या फैटी लिवर जैसी समस्याएँ चुपचाप बढ़ती हैं; जब तक आपको लक्षण महसूस नहीं होते, तब तक यह गंभीर हो चुकी होती हैं।
अब आपको क्या करना चाहिए: अपनी कुर्सी से लड़ें!
इस Gesundheitsfalle से बाहर निकलने के लिए आपका एक्शन प्लान यह है:
हर 30-45 मिनट में उठें और चलें: रिमाइंडर सेट करें। पानी भरने जाएँ, स्ट्रेच करें, या कॉल पर बात करते हुए टहलें। हर आधे घंटे में 2-3 मिनट की हरकत भी बहुत मददगार ।
कुर्सी पर ही हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करें: डेस्क योगा, कमर की स्ट्रेचिंग, और मीटिंग्स के बीच 5 मिनट आपकी पीठ को बचा सकते।
स्टैंडिंग वर्कस्टेशन का उपयोग करें: अगर संभव हो तो, अपने डेस्क को एडजस्ट करें ताकि आप बैठने और खड़े होने के बीच अदला-बदली कर सकें।
कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को प्राथमिकता दें: हफ्ते में कम से कम 3 सेशन ज़रूर करें—टहलना, साइकिल चलाना, या वेट ट्रेनिंग।
ज़रूरी हेल्थ मार्कर की जाँच कराएँ: समय-समय पर अपना ब्लड शुगर, लिपिड, लिवर एंजाइम, और ब्लड प्रेशर चेक कराएँ।
खाने-पीने में होशियार बनें: जब आप ज़्यादातर बैठे रहते हैं, तो मीठी चीज़ों और रिफाइंड कार्ब्स से बचें, क्योंकि यह आपके मेटाबॉलिज्म पर बोझ डालते हैं।