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Up Kiran, Digital Desk: भारत के औद्योगिक परिदृश्य में विशाखापत्तनम स्टील प्लांट (VSP), जिसे प्यार से 'विजाग स्टील' भी कहा जाता है, आंध्र प्रदेश के गौरव और हजारों परिवारों की आजीविका का प्रतीक रहा है। हालांकि, पिछले कुछ समय से यह नवरत्न सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम (PSE) गंभीर वित्तीय संकटों से जूझ रहा है। इसके भविष्य को लेकर हमेशा से अटकलें और बहसें जारी रही हैं - क्या इसका निजीकरण होगा, या इसे स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) में विलय किया जाएगा, या फिर इसे सरकारी सहायता से पुनर्जीवित किया जाएगा? हाल ही में, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष पी.वी.एन. माधव के एक बयान ने इस चर्चा को फिर से हवा दे दी है कि NDA सरकार VSP का SAIL के साथ विलय करने के लिए 'दृढ़ संकल्पित' है।

विलय की राह: आशा और विरोधाभास

गुंटूर में 'चाय पे चर्चा' कार्यक्रम के दौरान, माधव ने कहा कि केंद्र सरकार विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के पुनरुद्धार के लिए कई उपाय कर रही है और इसे एक विशेष पैकेज प्रदान कर सहायता भी की है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब VSP को लगातार नुकसान और कोकिंग कोल की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे संयंत्र के पूरी तरह बंद होने की अटकलें तेज हो गई हैं। माधव ने जोर दिया कि केंद्र सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम संयंत्र को समस्याओं से उबरने और लाभ कमाने में मदद करेंगे।

VSP के भविष्य को लेकर केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रियों और अधिकारियों के बयानों में कुछ विरोधाभास देखने को मिलते हैं। जनवरी 2025 में, केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री बी. श्रीनिवास वर्मा ने स्पष्ट रूप से कहा था कि VSP का SAIL में विलय नहीं होगा। उनके अनुसार, SAIL ने एक कर्ज में डूबी इकाई का विलय करने से इनकार कर दिया है। श्रीनिवास वर्मा ने यह भी बताया था कि केंद्र ने VSP को निजीकरण से बचाने और इसे अगस्त 2025 तक लाभदायक बनाने के लिए 11,440 करोड़ रुपये का एक बड़ा वित्तीय पैकेज मंजूर किया है। उन्होंने यह भी कहा था कि यह आंध्र प्रदेश के इतिहास में किसी उद्योग को दिया गया सबसे बड़ा वित्तीय पैकेज है। जुलाई 2025 में, उन्होंने संसद में एक प्रश्न के जवाब में फिर से दोहराया कि “RINL का SAIL के साथ विलय के लिए कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।”

इसके विपरीत, BJP नेता और SAIL के स्वतंत्र निदेशक एस. कासी विश्वनाथ राजू ने जनवरी और अप्रैल 2025 में लगातार VSP के SAIL में विलय की वकालत की है। उन्होंने इसे VSP की सभी समस्याओं का स्थायी समाधान बताया, क्योंकि SAIL के पास अपनी कैप्टिव खदानें हैं जो कच्चे माल की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करेंगी। राजू ने यह भी संकेत दिया था कि SAIL के अधिकारी भी विलय में रुचि रखते हैं क्योंकि कंपनी अपनी क्षमता का विस्तार करना चाहती है।

कर्मचारी संघों और राज्य सरकार की भूमिका

विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के कर्मचारी संघ (जैसे SEFI और VSEA) और विभिन्न राजनीतिक दल लंबे समय से VSP को SAIL में विलय करने की मांग कर रहे हैं।उनका मानना है कि यह निजीकरण को रोकने और संयंत्र को सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई के रूप में बनाए रखने का सबसे व्यवहार्य विकल्प है।इस बीच, सितंबर 2024 में कुछ मीडिया रिपोर्टों ने संकेत दिया था कि केंद्र सरकार ने VSP के निजीकरण की योजना को छोड़ दिया है और SAIL के साथ विलय पर विचार कर रही है, जिसका उद्देश्य भारत की इस्पात उत्पादन क्षमता को 2030 तक बढ़ाना है। हालांकि, इन रिपोर्टों के बाद भी, केंद्रीय मंत्रियों के विरोधाभासी बयान स्थिति को अस्पष्ट बनाए हुए हैं।

आगे की राह: क्या होगा VSP का भविष्य?

फिलहाल, VSP के भविष्य को लेकर स्थिति अनिश्चित बनी हुई है। एक ओर, BJP प्रदेश अध्यक्ष विलय की प्रतिबद्धता व्यक्त कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर, केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री विलय की संभावना से इनकार कर रहे हैं। संयंत्र को वित्तीय सहायता मिल रही है और उत्पादन बढ़ाने के प्रयास जारी हैं, लेकिन स्थायी समाधान के लिए एक स्पष्ट नीति की आवश्यकता है। यह देखना बाकी है कि केंद्र सरकार विशाखापत्तनम स्टील प्लांट के लिए कौन सा रास्ता चुनती है - क्या यह एकीकरण, पुनरुद्धार, या कोई अन्य समाधान होगा जो इस महत्वपूर्ण सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम को बचा सके और हजारों श्रमिकों के भविष्य को सुरक्षित कर सके।

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