Up kiran,Digital Desk : दिल्ली एक बार फिर 'गैस चैंबर' में तब्दील हो गई है। बुधवार की सुबह जब शहर ने आंखें खोलीं, तो उसे घने, ज़हरीले स्मॉग की चादर ने ढक रखा था। सांस लेना मुश्किल था, गले में जलन थी और आंखों में चुभन। यह सिर्फ एक दिन की कहानी नहीं, बल्कि दिल्ली की वो कड़वी हकीकत बन गई है, जिससे तंग आकर अब माताओं ने अपने बच्चों के 'सांस लेने के हक़' के लिए एक बड़ी लड़ाई छेड़ दी है।
जब 'वॉरियर मॉम्स' ने खटखटाया मानवाधिकार आयोग का दरवाज़ा
शहर की जहरीली हवा को अपने बच्चों के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए "वॉरियर मॉम्स" (Warrior Moms) नाम के एक ग्रुप ने सीधे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का दरवाजा खटखटाया है। उनका कहना है कि यह प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है कि उनके बच्चे साल भर ज़हरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं, जिसका असर उनके फेफड़ों, दिमाग और पूरे विकास पर पड़ रहा है।
उनकी मांगें सीधी और साफ हैं:
- AQI के हिसाब से स्कूल बंद करने का एक ठोस नियम बने।
- बच्चों की सेहत पर पड़ रहे असर की मुफ्त जांच हो।
- स्कूलों में एयर प्यूरीफायर और फिल्टर्ड-एयर वाले कमरे बनाए जाएं।
ग्रुप की सदस्य ज्योतिका सिंह ने एक ऐसा सवाल उठाया जो हर माता-पिता के दिल को छू गया - "हमें अपने बच्चे की पढ़ाई और उसके फेफड़ों की सुरक्षा के बीच चुनाव करने पर क्यों मजबूर किया जा रहा है?"
सड़क से सदन तक: हर तरफ ज़हर, हर तरफ हंगामा
- चाँदनी चौक में AQI 465 के पार: मंगलवार को दिल्ली का औसत AQI 372 (बहुत खराब) रहा, लेकिन चाँदनी चौक, नेहरू नगर और बवाना जैसे इलाकों में यह 450 के भी पार 'गंभीर' श्रेणी में पहुँच गया। नोएडा-ग्रेटर नोएडा की हवा भी दिल्ली से ज़्यादा जहरीली रही।
- सदन में 'सांसों' पर संग्राम: MCD सदन में जब इस मुद्दे पर चर्चा शुरू हुई, तो सियासत का पारा चढ़ गया। AAP की पार्षद शगुफ्ता चौधरी सदन में नेबुलाइजर लगाकर पहुँचीं, यह दिखाने के लिए कि दिल्ली वालों का क्या हाल है। लेकिन चर्चा समाधान के बजाय AAP और BJP के बीच आरोप-प्रत्यारोप के हंगामे में बदल गई, और मेयर को सदन की कार्रवाई स्थगित करनी पड़ी।
कितने पीछे हैं हम? भारत के प्रदूषण मानक दुनिया में सबसे 'ढीले'
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जिस हवा में हम सांस ले रहे हैं, उसे दुनिया के कई देश 'खतरनाक' घोषित कर चुके होते। PM2.5 कणों के लिए हमारा 24-घंटे का मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है, जबकि:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का मानक सिर्फ 15 है।
- यूरोप और ब्रिटेन का मानक 25 है।
- यहां तक कि चीन का मानक भी 75 है। (Correction: The original text states China's is 75, which is higher than India's 60 for the 24-hour standard. However, India's annual standard is higher than China's).
यह दिखाता है कि हम सेहत के मानकों को लेकर कितने लचीले हैं, जिसकी कीमत हमारे बच्चे चुका रहे हैं।
दिल्ली सरकार ने 'विंटर एक्शन प्लान' लागू करने और स्कूलों में बच्चों को ठंड और प्रदूषण से बचाने के निर्देश दिए हैं, तो वहीं दिल्ली हाईकोर्ट में भी एक याचिका पर सुनवाई हो रही है। लेकिन इन सबके बीच दिल्ली का आम नागरिक बस एक ही सवाल पूछ रहा है- साफ हवा में सांस लेने का हमारा हक़ हमें कब मिलेगा?
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