एक भैंस, 8 महीने, 50 लोगों से पूछताछ, फिर इस तरह असली मालिक तक पहुंची पुलिस

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नागौर। जिले के खींवसर इलाके में एक भैंस के मालिकाना विवाद को पुलिस ने आठ महीने की मशक्कत के लिए सुलझा दिया। इन आठ महीनों में पुलिस ने न सिर्फ भैंस की डीएनए जांच करवाने के लिए उसके सैम्पल लिए, बल्कि पचास से अधिक लोगों से पूछताछ की, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा। अब पुलिस जांच में भैंस के असली मालिक का पता चल गया है।

Buffalo

पुलिस जांच में भैंस कांटिया गांव के रहने वाले झालाराम जाट की निकली। दूसरे दावेदार पांचला सिद्धा गांव निवासी हिम्मताराम को गलतफहमी हो गई थी। इसी कारण उसने भी भैंस पर दावेदारी करते हुए मुकदमा दर्ज करा दिया था। एसपी श्वेता धनखड़ के अनुसार हिम्मताराम खेत में बने ट्यूबवैल पर परिवार के साथ रहता है। वहीं, खेती करता है। उसके पास दो भैंस थीं, जिनको वह चरने के लिए छोड़ता था। करीब आठ महीने पहले हिम्मताराम ने अपनी दोनों भैंस चरने के लिए छोड़ी। लेकिन इनमें से तीन साल की एक भैंस वापस नहीं आई।

भैंस को छोड़ा गया तो वह बाबूराम सियाग की भैंस के साथ चली गई

हिम्मताराम ने जब भैंस को ढूंढ़ा तो वह गांव के ही झालाराम के खेत में चरती दिखी। उस भैंस को हिम्मताराम ने अपना मान लिया और ले जाने लगा। इसका झालाराम ने विरोध किया। उसने कहा कि ये भैंस उसकी है। जिसने उसे एक साल पहले कांटिया गांव में रहने वाले बाबूराम सियाग से 10 हजार रुपये में खरीदा है। भैंस की दावेदारी को लेकर दोनों के बीच विवाद के बाद मौके पर बाबूराम को बुलाया गया। उसने भी कह दिया था कि यह भैंस उसने ही बेची है। उस समय तो सभी घरों पर चले गए। इसके दो-तीन दिन बाद हिम्मताराम ने कांटिया व आस-पास के लोगों को पंचायत के लिए इकट्ठा किया। पंचायत में गांव के लोगों ने हिम्मताराम मेघवाल व बाबूलाल सियाग की भैंस मंगवाई। जब इन दोनों भैंस के बीच उस भैंस को छोड़ा गया तो वह बाबूराम सियाग की भैंस के साथ चली गई। उस समय गांव के लोगों ने हिम्मताराम मेघवाल को समझाया कि यह भैंस झालाराम की है, जिसे बाबूलाल ने उसे बेची थी।
उन्होंने बताया कि पंचायत का फैसला होने के कुछ दिन बाद हिम्मताराम ने भैंस लेने के लिए झालाराम के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने भैंस विवाद को सुलझाने के लिए झालाराम की भैंस, हिम्मताराम की भैंस व बाबूराम की भैंस का डीएनए परीक्षण करवाने के लिए नमूने लिए। नमूने परीक्षण के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला जयपुर भिजवाए गए, लेकिन वहां जानवरों के डीएनए परीक्षण की सुविधा नहीं होने की वजह से परिणाम नहीं निकला। इसके बाद पुलिस ने अपने स्तर से जांच शुरू की।
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