चीन की फुडन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि देश में जो बच्चे जन्म से बहरे थे, वे जीन थेरेपी के सफल परीक्षण के बाद अब सुनने में सक्षम हो गए हैं। यह बात सामने आई है कि इन बधिर बच्चों के कानों में एक हानिरहित वायरस प्रत्यारोपित किया गया है।
एक्सपेरिमेंट से पांच में से चार बच्चों की सुनने की शक्ति वापस आ गई। ये एक्सपेरिमेंट उन बच्चों के लिए बहुत उपयोगी होगा जो अपने माता-पिता से विरासत में मिली श्रवण विकलांगता के कारण सुन नहीं सकते। ओटोफ़र्लिन जीन सुनने की क्षमता पैदा करता है।
अभी तक कोई भी दवा सुनने की क्षमता में सुधार नहीं कर पाई है, इसलिए चीन की सफलता उल्लेखनीय मानी जा रही है। शंघाई की फुडन यूनिवर्सिटी के सर्जन और वैज्ञानिक यिलाई शू के मुताबिक, पहले हम थोड़े चिंतित थे। चिंता इस बात की थी कि इलाज सफल होगा या नहीं. बीते वर्ष दिसंबर से इलाज शुरू हुआ. तभी एक छोटा लड़का, जिसने पहले कभी बात नहीं की थी, माँ और पिताजी को पुकारने लगा।
शोध में भाग लेने वाले सभी चीनी बच्चे सुनने में अक्षम थे। क्योंकि उन्हें दोषपूर्ण जीन जन्म से मिले थे। यह जीन निर्धारित करता है कि शरीर प्रोटीन 'ओटोफ़र्लिन' कैसे बनाता है। यह प्रोटीन आंतरिक कान को मस्तिष्क तक ध्वनि संचारित करने में सक्षम बनाता है। एक लड़की का पहले कॉक्लियर इम्प्लांट हुआ था, जिससे वह सुनने और बोलने में सक्षम हो गई थी। लेकिन परीक्षण के बाद वह स्वाभाविक रूप से सुनने लगी।
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