न्यूयॉर्क ।। बृहस्पतिवार को कच्चे तेल के दाम में जबर्दस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई। अमेरिका के प्रेसिडेंट ट्रम्प ने ट्वीट कर उम्मीद जताई कि रूस और सऊदी अरब कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती कर प्राइस वॉर को समाप्त कर सकते हैं। उधर, सऊदी अरब ने भी तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और अन्य सहयोगी तेल उत्पादक देशों की अचानक से बैठक बुलाई ताकि तेल के बाजार को बैलेंस करने के लिए निष्पक्ष समझौता किया जा सके।
इस खबर के बाद तेल को जैसे पंख लग गए और तेल शुरुआती कारोबार में 47 पर्सेंट तक चढ़ गया। अमेरिकी प्रेसिडेंट ट्रम्प और सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान के बीच फोन पर बातचीत के बाद ये मीटिंग बुलाई गई। ट्रंप के कॉल का असर ऐसा रहा कि तेल के दाम में पहली बार एक ही दिन में तेजी दर्ज की गई। ब्रेंट क्रूड 21 पर्सेंट चढ़ा और WTI में लगभग 25 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। हालांकि, आज तेल के भाव में 3 पर्सेंट तक की नरमी देखने को मिल रही है।
सऊदी अरब ने दोहराया कि उसने तेल उत्पादन में कटौती और 22 देशों का समर्थन हासिल करने को लेकर ओपेक और सहयोगी देशों के साथ समझौते की कोशिश की थी, लेकिन आम सहमति बनाने में विफल रहा। तेल बाजार पर मार्च की शुरुआत से ही दबाव देखने को मिल रहा है, जब प्रॉडक्शन घटाने को लेकर रूस और सऊदी के बीच सहमति नहीं बन पाई थी।
सऊदी अरब ने इसके लिए रूस को अपराधी ठहराया था और कहा था कि रूस ने अतिरिक्त उत्पादन में पहले से जारी 17 लाख बैरल प्रति दिन की कटौती के अलावा 15 लाख बैरल प्रति दिन की और कटौती पर सहमत होने से मना कर दिया था। बाद में उसने कहा कि वह अप्रैल में कम-से-कम एक करोड़ बैरल प्रतिदिन तेल का निर्यात करेगा जिसे बढ़ाकर रेकॉर्ड 1.06 करोड़ बैरल हर दिन तक किया जाएगा।
इसका उद्देश्य वैश्विक बाजारों में तेल की आपूर्ति बढ़ाना था। इस प्राइस वार के कारण तेल का भाव 18 साल के न्यूनतम स्तर तक चला गया था। इससे अमेरिकी शेल तेल उत्पादकों पर दबाव बढ़ा है। उनके लिए इस कीमत पर उत्पादन करना महंगा पड़ रहा था।