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कुछ महीने पहले मालदीव के मंत्री ने पीएम मोदी पर टिप्पणी की थी। इसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते खराब हो गए। इसके बाद 76 भारतीय रक्षाकर्मियों ने मालदीव छोड़ दिया और उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा। मालदीव के रक्षा मंत्री घासन मौमून ने स्वीकार किया है कि मालदीव की सेना के पास भारत द्वारा दान किए गए तीन विमानों को उड़ाने के लिए सक्षम पायलट नहीं हैं।

मंत्री घासन ने राष्ट्रपति कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मालदीव की सेना भारत द्वारा उपलब्ध कराए गए दो हेलीकॉप्टर और एक डोर्नियर विमान को संचालित करने में असमर्थ है।

एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए घासन ने कहा कि मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल के पास एक भी मालदीव का सैनिक नहीं है जो भारतीय सेना द्वारा दान किए गए तीन विमानों को उड़ा सके। कुछ सैनिकों को पिछली सरकारों के अनुबंध के तहत विमानन में प्रशिक्षित किया गया था।

घासन ने कहा, विमान उड़ाने का प्रशिक्षण अलग अलग चरणों में किया जाना था, लेकिन प्रशिक्षण पूरा नहीं हुआ है। इसलिए वर्तमान में हमारे बल में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसके पास दो हेलीकॉप्टर और एक डोर्नियर उड़ाने का लाइसेंस हो या वह सक्षम हो।

दोनों देशों के बीच संबंधों में तब खटास आ गई जब चीन समर्थक नेता मुइज्जू ने 10 मई तक द्वीप राष्ट्र में तीन विमानन प्लेटफार्मों से काम कर रहे सभी भारतीय सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने की मांग की। भारत पहले ही 76 सैन्यकर्मियों को वापस बुला चुका है।

मालदीव में हिंदुस्तानी फौज की उपस्थिति का मेन कारण पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद और अब्दुल्ला यामीन की सरकार के दौरान दान किए गए हेलीकॉप्टरों और पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की सरकार के दौरान लाए गए डोर्नियर विमान से मालदीव के लोगों को प्रशिक्षित करना था।

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