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अपनी इकोनॉमिक पावर के दम पर अक्सर भारत पर हेकड़ी जमाने की कोशिश करने वाला चीन अब बातचीत के जरिए मसलों को सुलझाने की वकालत करने लगा है। शायद चीन की समझ में आ गया है कि भारत को दबाने की उसकी कोशिश कामयाब नहीं हो सकती। लिहाजा अब चीन ने बातचीत के जरिए भारत के साथ मसलों को सुलझाने की वकालत की है।

भारत के साथ तनावपूर्ण संबंध के बीच चीन के टॉप डिप्लोमैट वांग यी का बड़ा बयान आया है। उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से कहा है कि आपसी संबंधों को स्थिर रखने की जरूरत है। दोनों देश सीमा पर बढ़ते सैन्य तनाव को कम करने के तरीकों की तलाश कर रहे हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में आसियान बैठकों के मौके पर वांग ने जयशंकर से कहा कि दोनों देशों के बीच संदेह की बजाय आपसी समर्थन की जरूरत है।

चीन का यह बयान ऐसे मौके पर आया है जब भारत चीन के बीच कई साल बाद आपसी व्यापार में गिरावट दर्ज की गई है। पिछले कुछ सालों से सीमा पर तनाव के बावजूद भी भारत और चीन का व्यापार रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ा था। लेकिन अब सालों बाद ऐसा हो रहा है कि आपसी व्यापार में गिरावट आई है। दोनों देशों के बीच व्यापार में 0.9% की गिरावट दर्ज की गई है।

एक रिपोर्ट के अनुसार यह गिरावट तब हुई जब चीन के कुल विदेशी व्यापार में लगभग 5% की गिरावट दर्ज की गई। चीन के विदेशी व्यापार में गिरावट की वजह कोविद के बाद संघर्ष करती उसकी धीमी अर्थव्यवस्था को बताया जा रहा है। चीन के कस्टम विभाग की तरफ से गुरुवार को आंकड़े जारी किए गए। इन आंकड़ों के अनुसार इस साल की पहली छमाही में भारत को चीन का निर्यात पिछले साल के 57.51 अरब डॉलर की तुलना में 0.9 फीसदी गिरावट के साथ 56.53 अरब डॉलर रहा। 

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