रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने इंडियन नेवी के जहाजों को विरोधियों के मिसाइल हमले से बचाने और सुरक्षा के लिए एडवांस्ड चैफ टेक्नोलॉजी विकसित की है। हाल ही में इंडियन नेवी ने अरब सागर में इस तकनीक से विकसित तीनों प्रकार के परीक्षण किए और प्रदर्शन संतोषजनक पाया।
DRDO की प्रयोगशाला डिफेंस लेबोरेटरी जोधपुर ने भारतीय नौसेना की जरूरतों को पूरा करते हुए इस महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के तीन प्रकार विकसित किये हैं, जिसमें शॉर्ट रेंज चैफ रॉकेट, मीडियम रेंज चैफ रॉकेट और लॉन्ग रेंज चैफ रॉकेट हैं।
DRDO की लैब में विकसित यह एडवांस्ड चैफ टेक्नोलॉजी ‘आत्मनिर्भर भारत’ की ओर एक और कदम है। DRDO के मुताबिक चैफ एक इलेक्ट्रॉनिक तकनीक है जिसका इस्तेमाल दुनियाभर में नौसेना के जहाजों को दुश्मन के रडार और रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) मिसाइल से बचाने के लिए किया जाता है।
इस विकास का महत्व इस तथ्य में निहित है कि जहाजों में सुरक्षा को लेकर दुश्मन की मिसाइलों को विक्षेपित करने के लिए हवा में तैनात बहुत कम मात्रा में चैफ सामग्री कार्य करती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि के लिए DRDO और भारतीय नौसेना को बधाई दी है।
DRDO चेयरमैन डॉ. जी सतेश रेड्डी ने भारतीय नौसेना जहाजों की सुरक्षा के लिए इस महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के स्वदेशी विकास में शामिल टीमों के प्रयासों की सराहना की। नौसेना स्टाफ के वाइस चीफ वाइस एडमिरल जी अशोक कुमार ने कम समय में स्वदेशी रूप से महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए DRDO के प्रयासों की सराहना करने के साथ ही थोक उत्पादन के लिए मंजूरी दे दी है।