इस वर्ष नवरात्रि पर 58 साल बाद अद्भुत संयोग, घटस्थापना-शुभ मुहूर्त भी जानें

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नयी दिल्ली। इस वर्ष शारदीय नवरात्र की शुरुआत 17 अक्टूबर को कलश स्थापन के साथ हो जाएगी। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होने जा रहे नवरात्रों में मां दुर्ग के नौ स्वरूपों की पूजा होगी। ज्योतिषविदों का कहना है कि नवरात्रि में इस बार 58 साल बाद एक बेहद शुभ संयोग भी बनने जा रहा है। इस बार नवरात्रि में पूरे 58 साल बाद शनि स्वराशि मकर और गुरु स्वराशि धनु में रहेंगे। साथ ही साथ इस बार घटस्थापना पर भी विशेष संयोग बन रहा है। ये महासंयोग कई लोगों को झोली खुशियों से भर सकते हैं।

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घटस्थापना-शुभ मुहूर्त

कलश स्थापन शुभ मुहूर्त प्रातः बेला में सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर है। यदि आप किसी कारण वश इस समय घटस्थापना नहीं कर पाते हैं तो इसी तिथि को सुबह 11 बजकर 02 मिनट से 11 बजकर 49 मिनट के बीच इसे कर सकते हैं।

घोड़े पर हो रहा है भगवती दुर्गा का आगमन

इस साल भगवती दुर्गा का आगमन घोड़े पर हो रहा है, जिसका फल छात्रभंग योग बन रहा है। माता की विदाई भैंस पर होगी जो शोक संताप देने वाला है।

17 अक्टूबर शनिवार को प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना होगी

कलश स्थापन के पहले दिन 17 अक्टूबर शनिवार को प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना होगी। 18 अक्टूबर को द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना होगी। 19 अक्टूबर को तृतीय स्वरूप चंद्रघण्टा की पूजा होगी। 20 अप्रैल को चतुर्थ स्वरूप कुष्मांडा की पूजा होगी तथा 21 अप्रैल को पंचम स्वरूप स्कंदमाता की पूजा होगी। 22 अक्टूबर को माता के छठे स्वरूप कात्यायनी की पूजा के साथ बिल्व आमंत्रण दिया जाएगा। 23 अक्टूबर को सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा-अर्चना तथा रात में निशा पूजा होगी।

24 अप्रैल को अष्टम स्वरूप महागौरी की पूजा अर्चना के साथ महाअष्टमी का व्रत रखा जाएगा जबकि 25 अक्टूबर को माता के नवम स्वरूप सिद्धीदात्री की पूजा अर्चना के बाद हवन, कन्या पूजन और बलिदान कार्य संपन्न कराए जाएंगे। 26 अक्टूबर सोमवार को विजयादशमी (दशहरा) के दिन प्रातः वेला में कलश विसर्जन, अपराजिता पूजन और जयती धारण के बाद प्रतिमा का विसर्जन कर दिया जाएगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी रहता है, जिसके कारण कोई भी शुभ कार्य किए जा सकते हैं।

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