डॉक्टरों ने मृत बताकर 11 घंटे अलमारी में रखा, परिजन शव लेने पहुंचे तो जिंदा निकली मासूम

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दिल्ली॥ शिमला के कमला नेहरू हॉस्पिटल में सबसे बड़े एक मात्र मातृ-शिशु अस्पताल कमला नेहरू अस्पताल में डॉक्टरों का हैरानी भरा मामला सामने आया है। यहां चिकित्सकों ने जिन्दा नवजात बच्ची को मृत घोषित कर दिया। 11 घण्टे बाद नवजात के जिन्दा होने का पता चला।

जब परिजन बच्ची का शव लेने आए। इस दौरान बच्ची रो रही थी। दरअसल बीते मंगलवार को कुल्लू के मौहल की राजकुमारी को सातवें माह में प्रसूति दर्द शुरू हुआ। राजकुमारी को उसके पति विजय कुमार कुल्लू नेरचौक हॉस्पिटल ले गए, यहां से उसे प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल केएनएच रेफर किया गया।

दो दिन पहले राजकुमारी को केएनएच में दाख़िल किया गया। गुरुवार को राजकुमारी की डिलीवरी की गई, लेकिन डिलीवरी से पहले पति विजय से अस्पताल प्रबंधन ने फार्म पर ये बोल कर साइन करवाए कि उनके बच्चे की पल्स रेट 110 है जबकि यह 140 होनी चाहिए, ऐसे में बच्चे का बचना बहुत मुश्किल है।

विजय ने डॉक्टरों पर विश्वास करते हुए कि वो बच्चे को बचा लेंगे, इसलिए बिना कुछ पढ़े ही साइन कर दिया। दोपहर को जब राजकुमारी को लेबर रूम ले जाया गया तो उसके बाद डाक्टर्स ने बच्ची को लेकर परिजनों को कुछ नहीं कहा। 11 घंटे बाद दिन को करीब 1 बजकर 40 मिनट पर बच्ची के पिता को कहा कि उनकी बच्ची को मौत हो चुकी है और वह आ कर उसका शव लेकर जाएं। डॉक्टरों ने बच्ची को मृत घोषित कर डेड ट्रे में रख दिया।

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11 घंटे बाद जब डॉक्टरों ने डेड बॉडी को ले जाने के लिए बैग लेकर बुलाया तो बच्ची रोने लग गई। इतनी बड़ी लापरवाही के बाद बच्ची के पिता विजय कुमार परेशान हो गए और सीधा शिकायत लेकर अस्पताल में दौरे पर पहुंचे। शिक्षा मंत्री के सामने ही एमएस के पास पहुंच गए। विजय ने इतनी बड़ी लापरवाही की जांच के बाद दोषी डॉक्टरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग उठाई है।

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