बेंगलुरू, 20 नवंबर | कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपने तलाकशुदा पति को अपने बच्चे से मिलने से मना कर रही मां से कहा है कि वह बच्चे को उसके पिता से मिलने दें।
आपको बता दें कि अदालत ने शुक्रवार को मां से कहा, ”माता-पिता का तलाक हो गया होता. लेकिन, उन दोनों से बच्चे का जन्म होता है…तो जब ऐसा है तो आप उन्हें मिलने से क्यों रोक रहे हैं, मिलने दें.” वहीँ इसके साथ ही कोर्ट ने आगे कहा कि ‘वर्तमान उम्र के बच्चे इतने बुद्धिमान होंगे कि उनमें माता-पिता को सलाह देने की क्षमता होगी’।
गौरतलब है कि न्यायमूर्ति बी. वीरप्पा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने चेन्नई में बसे एक तलाकशुदा पति की याचिका पर विचार करते हुए अदालत से अपनी अलग हो चुकी पत्नी को अपने 12 वर्षीय बेटे से मिलने की अनुमति देने का निर्देश देने का अनुरोध किया।
पिता के वकील ने अदालत के संज्ञान में लाया कि मां अपने याचिकाकर्ता को बच्चे से मिलने नहीं दे रही है। मां की ओर से पेश वकील ने कहा कि लड़का एसएसएलसी (कक्षा 10) में पढ़ रहा है। इस महीने के अंतिम सप्ताह से मध्यावधि परीक्षाएं शुरू होंगी। अगर उसने पिता से मिलने की अनुमति दी, तो उसकी पढ़ाई प्रभावित होगी।
पीठ इस तर्क से सहमत नहीं हुई और टिप्पणी की कि वर्तमान उम्र के बच्चे अधिक परिपक्व हैं और आपके डर की कोई गुंजाइश नहीं है। पीठ ने आगे आदेश दिया कि बच्चा अपनी आधी सर्दी और गर्मी की छुट्टियां अपने पिता के साथ बिता सकता है।
मां के वकील ने इस पर आपत्ति जताई और इस आदेश को पारित न करने का अनुरोध किया क्योंकि पिता विवाहित है और उसके विवाह से बाहर एक लड़का है।पीठ ने वकील को 24 नवंबर को बेटे को अदालत में लाने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा, “आइए देखें कि बच्चे का अपने पिता से हमारे कार्यालय में मिलने के बारे में क्या कहना है।”