लखनऊ/सहारनपुर। यूपी के सत्तासीनों और अफसरों का स्वार्थी गठजोड़ संविधान सम्मत कायदों पर भारी पड़ता दिख रहा है। यह गठजोड़ कायदे कानूनों की भी परवाह नहीं करता। सहारनपुर में स्वास्थ्य विभाग के एक ही काम के हुए दो टेंडर के नतीजे इसकी तस्दीक कर रहे हैं। एक ही काम के बमुश्किलन डेढ महीने में दो बार टेंडर आमंत्रित किए गए। पहले टेंडर में सिर्फ एक ही फर्म के अभिलेख पूरे पाए गए तो पूरा टेंडर निरस्त कर दिया गया। (Ajab Gajab)
दूसरी बार उसी काम के टेंडर में पूर्ण अभिलेख वाली सिर्फ दो फर्म पायी गयी। पर उनका टेंडर स्वीकार कर लिया गया। जबकि नियमों के मुताबिक टेंडर के लिए कम से कम तीन फर्म योग्य नहीं पायी जाती हैं तो टेंडर स्वीकार नहीं किया जा सकता। पर इस मामले में सरकार के इस कायदे का पालन नहीं किया गया। ऐसे में स्वास्थ्य महकमे के इस अजब-गजब कारनामें पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल यह भी खड़ा होता है कि क्या कानून सिर्फ आम जनता के लिए ही है। सत्तासीनों और अफसरों के ऐसे गठजोड़ आखिर कब कानून के शिकंजे में आएंगे। (Ajab Gajab)
दरअसल, स्वास्थ्य महकमे की तरफ से सहारनपुर में आईईसी (प्रचार-प्रसार) कार्य के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए थे। कानून के मुताबिक टेंडर आवंटित करने के लिए गठित निविदा समिति ने 9 दिसम्बर 2020 को प्रतिभागी फर्मों के दस्तावेजों की पड़ताल की। उस टेंडर में प्रतिभागी 4 फर्मों में से तीन फर्मों के अभिलेख अपूर्ण पाये गए। सिर्फ एक फर्म के अभिलेख पूरे पाये गए। निविदा समिति ने पाया कि पूर्ण अभिलेख वाले निविदाकर्ताओं की संख्या तीन से कम है। ऐसे में नियमों के मुताबिक यह टेंडर निरस्त कर दिया गया। (Ajab Gajab)
फिर आनन-फानन में दूसरा टेंडर आमंत्रित किया गया। उसी निविदा समिति ने 27 जनवरी 2021 को प्रतिभागी फर्मों के दस्तावेजों की फिर पड़ताल की। इस बार कुल नौ फर्मों ने निविदा में प्रतिभाग किया। समिति ने इनमें से तीन फर्मों के अभिलेख अपूर्ण पाये और त्रुटिपूर्ण होने की वजह से उन्हें निरस्त कर दिया। सिर्फ दो फर्मों के अभिलेख ही पूर्ण पाये गए और उनका टेंडर स्वीकार कर लिया गया। जिसमें से एक फर्म को बाकायदा प्रचार प्रसार के काम का जिम्मा भी सौंप दिया गया। (Ajab Gajab)
सहारनपुर के सीएमओ बीएस सोढी का कहना है कि प्रचार प्रसार के काम के तीन बार टेंडर हुएं। सारे कागज और ज्यादा जानकारी आप हमारे कार्यालय से प्राप्त कर सकते हैं। (Ajab Gajab)