शिशुओं के साथ बच्चों की सेहत का भी रखना होगा ख्याल, आशा कार्यकर्ताओं की बढ़ी जिम्मेदारी

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महराजगंज, 01 मार्च: गृह आधारित देखभाल के तहत आशा कार्यकर्ताओं को अब शिशुओं के साथ बच्चों की सेहत एवं सुपोषण पर भी ध्यान देना होगा। इसके लिए होम बेस्ड केयर फार यंग चाइल्ड ( एचबीवाईसी) संबंधित प्रशिक्षण दिया गया। पांच दिवसीय प्रशिक्षण के समापन अवसर पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.राकेश कुमार की उपस्थिति में प्रशिक्षित आशा कार्यकर्ताओं को प्रमाण भी दिया गया।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने आशा कार्यकर्ताओं ने कहा कि प्रशिक्षण में मिली जानकारी के मुताबिक क्षेत्र में सेवा दें ताकि शिशुओं और बच्चों की सेहत में सुधार लाया जा सके।

अचल प्रशिक्षण संस्थान सिन्दुरिया में प्रशिक्षण के दौरान सदर ब्लाॅक के स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी श्रीभागवत सिंह नेे कहा कि आशा कार्यकर्ता बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य के साथ ही उसके पोषण व आरंभिक विकास पर भी नजर रखें। शिशुओं व बच्चों की लंबाई हिसाब से उनका वजन कैसा है, उनको उचित पोषक आहार मिल रहा है या नहीं। खिलौने को बच्चा कैसे देखता है, क्या करता है, इस पर भी नजर रखनी होगी।

250 रुपये प्रोत्साहन राशि मिलेगी

गृह आधारित देखभाल के दौरान बच्चों के छह माह तक सिर्फ और सिर्फ स्तनपान कराने पर, पूरक आहार, आवश्यक खनिज तत्वों वाले भोजन की उपलब्धता, परिवार नियोजन व संपूर्ण टीकाकरण के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी।

मिठौरा ब्लाॅक के स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी उमेश शाही बताया कि कुछ बच्चों का उनकी उम्र के अनुपात में वजन कम होता है। इसकी वजह कुपोषण होता है। सभी आशा कार्यकर्ताओं को बच्चों के जन्‍म के तीसरे, छठवे, नौवें, बारहवें तथा पन्द्रहवें महीने में कुल पांच विजिट करनी होगी। उन्हें प्रति विजिट 50 रूपये की दर से पांचों विजिट के लिए 250 रुपये प्रोत्साहन राशि मिलेगी।

उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय पोषण मिशन के तहत एचबीवाईसी का उद्देश्य है कि जच्चा-बच्चा के जान की सुरक्षा के साथ उसका संपूर्ण विकास हो। शासन व स्वास्थ्य विभाग का लक्ष्य बच्चों में बौनापन और एनीमिया दूर करना है। इसके लिए सभी आशा कार्यकर्ताओं को पूरे मनोयोग से काम करना होगा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में निर्मला, सुधा, सुमन, किरन, मंजू नीलम सहित 55 आशा कार्यकर्ताओं तथा तीन एएनएम को प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में यूनिसेफ के प्रतिनिधि बृजेन्द्र चौबे, डाॅ.शमसुल आफाक, डाॅ.एसएन राम, सुग्रीव वर्मा, ओमप्रकाश, रघुनाथ तथा शैलेष पांडेय प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

पांच बार विजिट कर करना है देखभाल

प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली आशा कार्यकर्ता किरन देवी ने बताया कि प्रशिक्षण में मिली जानकारी के मुताबिक शिशुओं सहित बच्चों की समुचित देखभाल के लिए पांच बार विजिट करना है। विजिट के दौरान बच्चे की लंबाई के हिसाब से उनका वजन लेना है। कुपोषण से बचाना है।
आशा कार्यकर्ता गीता देवी ने बताया कि गृह आधारित देखभाल के तहत धात्री महिलाओं को कम से कम छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराने और छह माह बाद बच्चे को पूरक आहार के साथ दो साल तक स्तनपान कराने की सलाह देना है। बच्चों की सेहत एवं पोषण पर भी ध्यान देना है।

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