
मणिपुर के आपत्तिजनक वीडियो मामले में एक नया दावा सामने आया है। एक मणिपुरी आदिवासी संस्था ने दावा किया है कि उसने राष्ट्रीय महिला आयोग को इस बारे में 12 जून को लिखा था। इसमें कुकी समुदाय की महिला के साथ हुई दरिंदगी के बारे में बताया गया था, मगर इसके बावजूद आयोग की तरफ से कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला। यह दावा करने वाले आदिवासी संगठन का नाम है नॉर्थ अमेरिकन मणिपुर ट्राइबल एसोसिएशन।
इस संगठन में भारत और अमेरिका के कुकी अकैडमिक्स शामिल हैं। नामता ने दावा किया है कि उसने राष्ट्रीय महिला आयोग को इस घटना के बारे में 37 दिन पहले ही लिखा था। एक न्यूज के मुताबिक, संगठन से जुड़े एक शख्स ने नाम न छापने की शर्त पर इस बारे में जानकारी दी। उस शख्स ने बताया कि इस घटना के बारे में ईमेल से लेटर भेजा गया था, लेकिन आयोग की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। नामता ने अपने ईमेल में घटना के बारे में विस्तार से जानकारी दी है।
वहीं महिला आयोग का कहना है कि उन्हें शिकायत मिली थी और उन्होंने इसे मणिपुर के कैबिनेट सेक्रेटरी और डीजीपी को फॉरवर्ड कर दिया था। नामता द्वारा भेजे गए ईमेल में 4 मई की घटना के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। इसके मुताबिक इस दिन मणिपुर के कांगपोकपी गांव की दो महिलाओं को नग्न करके घुमाया गया था। उन्हें मैतेई समुदाय की भीड़ द्वारा मारा पीटा गया और फिर भरी भीड़ के बीच उनका रेप किया गया। ईमेल में यह भी बताया गया कि इस दौरान प्रदेश के पुलिस कमांडोज मूकदर्शक बने हुए थे। भीड़ भी चुपचाप तमाशा देख रही थी।
आगे बताया गया था कि घटना के पीड़ितों को चुराचांदपुर जिला राहत कैंप में रखा गया है। मीडिया को जारी बयान में राष्ट्रीय महिला आयोग ने कहा कि उन्हें इस बारे में शिकायत मिली थी। इस बयान के अनुसार, एक अन्य शिकायत भारत के बाहर से भी मिली थी। उन्होंने बताया कि इस बारे में 19 जून को ही कैबिनेट सेक्रेटरी को लिख दिया गया था और जरूरी एक्शन लेने को कहा था। हालांकि कमीशन इस बात का जवाब नहीं दे पाया कि बीते एक महीने के बाद एक बार भी इसको लेकर कोई फॉलोअप क्यों नहीं किया गया।
आपको बता दें कि वीडियो वायरल होने के बाद 20 जुलाई को राष्ट्रीय महिला आयोग ने ट्वीट किया कि उसने घटना का स्वतः संज्ञान लिया है और डीजीपी से इसको लेकर सवाल पूछे हैं।
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