अमेरिका (USA) और रूस के बीच विवाद चरम पर पहुंच चुका है। तनाव की इस नई कड़ी में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गुरुवार को 10 रूसी राजनयिकों को देश से निकालने के साथ ही रूस की तीन दर्जन से ज्यादा कंपनियों के विरूद्ध कई नए प्रतिबंध लगाकर अपने कड़े इरादे जाहिर कर दिए हैं। वहीं यूक्रेन की सीमा पर अमेरिका-रूस की सेनाएं आमने-सामने की लड़ाई के लिए कमर कस चुकी हैं।
अमेरिका ने पिछले साल हुए राष्ट्रपति चुनावों में रूस के हस्तक्षेप करने और संघीय एजेंसियों में सेंधमारी करने के विरूद्ध इसे अमेरिकी कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है। रूस के विरूद्ध अमेरिकी कार्रवाई के कयास काफी समय से लग रहे थे। अमेरिका द्वारा चुनाव में हस्तक्षेप और हैकिंग पर जवाबी कार्रवाई करते हुए रूस के विरूद्ध पहली बार अमेरिका ने प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की है।
बताया जा रहा है कि रूसी हैकरों ने अमेरिकी सॉफ्टवेयर में सेंधमारी की थी। उनका मकसद कम से कम नौ एजेंसियों के नेटवर्कों को हैक करना था। अमेरिकी ज्यादाारियों का मानना है कि उन्होंने अमेरिकी सरकार की गुप्त जानकारी जुटाने की कोशिश की। अमेरिकी ज्यादाारियों ने पिछले महीने आरोप लगाया था कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मदद करने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने एक अभियान को मंजूरी दी थी ताकि ट्रंप फिर से राष्ट्रपति बन सकें।
व्हाइट हाउस ने कहा कि जिन 10 राजनयिकों को निकाला गया है उनमें रूसी खुफिया सेवाओं के प्रतिनिधि शामिल हैं। उसने यह भी कहा कि बाइडेन इन खबरों पर प्रतिक्रिया देने के लिए राजनयिक, सैन्य और खुफिया चैनल का इस्तेमाल कर रहे हैं कि रूस ने तालिबान को अफगानिस्तान में अमेरिका के और सहयोगी देशों के सैनिकों पर हमले के लिए उकसाया था।