नागरिकता बिल पर विपक्ष के साथ देश की जनता भी नाराज़ नज़र आ रही है, जिसकी वजह से कई जगह प्रदर्शन किये जा रहे है. वहीं सरकार के तरफ कहा जा रहा है कि इस बिल से देश को फायदा है और कोई नुकसान नहीं होगा। लेकिन कई बुद्धजीवी भी इस बिल को देश तोड़ने वाली बिल बता रहे है. लेकिन अब गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पेश किया. अमित शाह ने कहा कि इस बिल के बारे में भ्रांति फैलाई जा रही है.
आपको बता दें कि गृह मंत्री ने कहा कि इस बिल के प्रावधान में, लाखों, करोड़ों लोग जो नर्क की यातना का जीवन जी रहे हैं, उन्हें नई आशा दिखाने का ये बिल है. विभाजन के बाद हमारी कल्पना थी कि जो नागरिक यहां अल्पसंख्यक रहते हैं और जो पड़ोसी देश में अल्पसंख्यक हैं वो सम्मान के साथ जीवन जी पाएंगे. अपने धर्म का सम्मान के साथ पालन कर पाएंगे, अपने परिवार का सम्मान से रक्षण कर पाएंगे. लेकिन दशकों बाद इसकी तरफ हम देखते हैं तो कटु सच्चाई ये सामने आई है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान या अफगानिस्तान में अल्पसंख्यकों को सम्मान का जीवन नहीं मिला. वहां अल्पसंख्यकों की घोर प्रताड़ना हुई.
अमित शाह ने कहा कि जो लोग कह रहे हैं कि हम वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं, मैं उन सब साथियों को कहना चाहता हूं कि हमने चुनाव के पहले ही ये इरादा देश के सामने रखा था, जिसे देश की जनता ने समर्थन दिया है. इस बिल में हम तीनों पडोसी देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान) के धार्मिक अल्पसंख्यकों को संरक्षण देकर उनको नागरिक बनाने की प्रक्रिया का संशोधन लेकर आए हैं. साथ ही पूर्वोत्तर के राज्यों के अधिकारों को संरक्षित करने के लिए भी हम प्रावधान लेकर आए हैं.
गृह मंत्री ने कहा कि कुछ लोगों द्वारा भ्रांति फैलाई जा रही है कि ये बिल मुस्लिम समुदाय के खिलाफ है. जो इस देश के मुसलमान हैं उनके लिए इस बिल में कोई चर्चा या चिंता का उल्लेख नहीं है. फिर ये किसकी चिंता कर रहे हैं?