और जब डीएम बने कुम्हार, बनाए मिट्टी के दिए, फिर…

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बलिया। इस बार की दीपावली में लोकल फॉर वोकल पर जोर देने के लिए बलिया के जिलाधिकारी श्रीहरि प्रताप शाही ने अनोखी पहल की है। उन्होंने निर्णय लिया है कि इस दीपावली पर उनके आवास स्थित कैम्प कार्यालय और कलेक्ट्रेट में सिर्फ मिट्टी के ही दिए जलाए जाएंगे। यही नहीं डीएम कुछ देर के लिए कुम्हार भी बन गए। उन्होंने चाक चलाकर मिट्टी के दीये भी बनाए।
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मिट्टी के दिए ही जलाएं

डीएम ने जनपदवासियों से भी अपील की है कि दीपावली पर झालर आदि की जगह पूर्ण रूप से मिट्टी के दिए ही जलाएं। जिलाधिकारी ने अपने कैंप कार्यालय और कलेक्ट्रेट में जलने वाले दीयों के लिए पिछले दिनों बांसडीहरोड क्षेत्र के हरपुर गांव में स्वयं कुम्हार के यहां जाकर पर्याप्त मात्रा में मिट्टी के दीपों का आर्डर दिया। इन दौरान उन्होंने स्वयं भी कुम्हारी कला पर हाथ आजमाया। कुम्हारों की मूलभूत समस्याओं को सुना और उनके कल्याण के लिए विशेष पहल करने का भरोसा दिलाया।
अपनी अपील में जिलाधिकारी ने कहा है कि पर्यावरण के साथ कुम्हारी कला और दीपावली का असली महत्व कायम रखने के लिए हम सबको ऐसा करना ही चाहिए। वर्तमान में समय और पर्यावरण की आवश्यकता भी यही है। वैसे भी दीवाली मनाने का हम सबका यही पारंपरिक तरीका भी रहा है। इससे दीपावली की चमक बरकरार रहने के साथ किसी की जीविका भी चलेगी और पर्यावरण संतुलन भी ठीक बना रहेगा।

मिट्टी का दीपक जलाने से शौर्य और पराक्रम में वृद्धि होती

उन्होंने कहा, मान्यता है कि मिट्टी का दीपक जलाने से शौर्य और पराक्रम में वृद्धि होती है और परिवार में सुख समृद्धि आती है। लेकिन, दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब लोगों का रुझान झालरों की तरफ चला गया। इसका असर हुआ कि कुम्हारी कला पर संकट आने लगा और उसकी जगह विभिन्न तरह की हानिकारक चीजें हमारे समाज में आयीं। इस कला को बचाकर हम हजारों लोगों की जीविका का साधन बन सकते हैं। इसलिए सब संकल्प लें कि दीपावली पर मिट्टी के दिए ही जलाएं।
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