अंधेर नगरी : युद्ध के हालातों व चीनी माल के बहिष्कार अभियान के बीच सेमी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का ठेका चीनी कंपनी को

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डेस्क। भारत और चीन के बीच सीमा पर युद्ध के हालात हैं। देश में चीनी माल के बहिष्कार का अभियान चल रहा है। प्रधानमंत्री आत्मनिर्भरता का राग अलाप रहे हैं। इसके बावजूद भारत में चीनी कंपनियों के प्रभुत्व में इजाफा हो रहा है। भारत सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना दिल्ली-मेरठ सेमी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का ठेका एक चीनी कंपनी को मिलने जा रहा है। इसे लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार कठघरे में खड़ा किया है। स्वदेशी जागरण मंच ने भी इसे तत्काल रद्द करने कि मांग की है।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली-मेरठ ​रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम प्रोजेक्ट के अंडरग्राउंड स्ट्रेच बनाने के लिए चीनी कंपनी शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड ने सबसे कम 1,126 करोड़ रुपये की बोली लगाई है। इसके लिए पांच कंपनियों ने बोली लगाई थी। भारतीय कंपनी लार्सन ऐंड टूब्रो ने 1,170 करोड़ रुपये और एक अन्य भारतीय कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स और एसकेईसी के जेवी ने 1,346 करोड़ रुपये की बोली लगाई।

इस परियोजना के तहत दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर में न्यू अशोक नगर से साहिबाबाद के बीच 5.6 किमी तक अंडरग्राउंड सेक्शन का निर्माण होना है। इस पूरे प्रोजेक्ट का प्रबंधन नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन द्वारा किया जा रहा है। मौजूदा परस्थितियों में लगभग 1100 करोड़ रुपये का यह ठेका चीनी कंपनी को मिलना, सरकार कि नीतिगत गंभीरता पर सवाल खड़े करता है। क्या प्रधानमंत्री का आत्मनिर्भर भारत अभियान सिर्फ जुमला है ?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने कहा कि यदि सरकार को आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाना है तो ऐसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं में चीनी कंपनियों को नहीं शामिल किया चाहिए। स्वदेशी जागरण मंच ने मोदी सरकार से इस ठेके को रद्द करते हुए इसे किसी भारतीय कंपनी को देने की मांग की है।

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