रंग लाई आंगनबाड़ी की मेहनत, सुधर गई अनन्या व अंकिता की सेहत

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महराजगंज ।। अनन्या व अंकिता अपने हम उम्र बच्चों से काफी कमजोर व सुस्त रहती थी। परिवार वाले भी इसका सही कारण नहीं समझ पा रहे थे। गृह भ्रमण के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नजर जब इन बच्चियों पर पड़ी तो वह तुरंत समझ गईं कि यह कुपोषण की जद में आ चुकी हैं। इसके बाद परिवार वालों को समझाने के साथ ही उनको पोषण पुनर्वास केन्द्र( एनआरसी) पर भर्ती कराने व पोषक आहार मुहैया कराने में पूरी मदद की।

Anganwadi

इसका नतीजा रहा कि आज दोनों बच्चियाँ पूरी तरह से स्वस्थ हैं और हम उम्र बच्चों के साथ खेलती हैं और दौड़ भाग भी करती हैं, जिससे परिवार वाले भी बेहद खुश हैं।

यह तो सिर्फ एक बानगी मात्र है। इस तरह के सैंकड़ों बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने में जिले की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मुस्तैद रहती हैं। हम बात कर रहे हैं घुघली ब्लॉक के ग्राम पंचायत पकड़ी बिशुनपुर की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अंजलि विश्वकर्मा के प्रयासों की। अंजलि बताती हैं कि वह अपने क्षेत्र की अति कुपोषित अनन्या व अंकिता को पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती कराया। जहां से दोनों बच्चे अपने चेहरे पर मुस्कान लेकर लौटे। जो अब सामान्य बच्चों की तरह खेलते कूदते हैं।

डेढ़ वर्षीय अनन्या की मां वंदना ने बताया कि जब उनकी बच्ची दस माह की थी तो बहुत कमजोर थी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अंजलि ने उसे एनआरसी में भर्ती कराने की सलाह दी। तैयार होने पर वह साथ लेकर महराजगंज गयी। एनआरसी पर नास्ता, भोजन, बच्चे को दूध भी मिलता था । वहां रहने के लिए अच्छी व्यवस्था थी। पन्द्रह दिन बाद मेरी बेटी स्वस्थ हो गयी। अब बच्चों के साथ दौड़ती और खेलती भी है।

इसी प्रकार ढाई वर्षीया अंकिता की मां सुमन ने कहा कि मेरी बेटी बहुत कमजोर थी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अंजलि ने गृह भ्रमण के दौरान देखा तथा उसे पंजीकृत किया। इसके बाद उसे एनआरसी ले जाने की सलाह दी। वह खुद मुझे व मेरी बेटी अंकिता को लेकर एनआरसी गई। वहां भर्ती करा दिया। उचित देखभाल और पौष्टिक आहार मिलने से मेरी बेटी के चेहरे पर मुस्कान लौट आयी। वहां बताया भी गया कि बच्चों का किस तरह से देखभाल किया जाए, ताकि की कुपोषण की जद में न आ पाए।

अंजलि बताती हैं कि वह आंगनबाड़ी केन्द्र पर पंजीकृत 103 बच्चों का नियमित देखभाल करती हैं। इसका परिणाम है कि केन्द्र पर केवल दो कुपोषित बच्चे हैं। एक भी बच्चा अति कुपोषित की श्रेणी में नहीं है।

केन्द्र पर शून्य से सात माह के नौ, सात माह से तीन साल के 50 तथा तीन से छह साल के 42 बच्चे पंजीकृत हैं। केन्द्र पर दस गर्भवती और नौ धात्री महिलाएं पंजीकृत हैं, जिनका वह नियमित फाॅलोअप करती हैं।

केन्द्र पर पंजीकृत स्कूल छोड़ चुकी आधा दर्जन किशोरियों को समझा बुझाकर तथा शिक्षा का महत्व बताकर स्कूल में दाखिला कराया, अब सभी स्कूल जाने लगी हैं।अंजलि बताती हैं कि दायित्वों का सही तरीके से निर्वहन करने के एवज में जिला प्रशासन की ओर से उन्हें सम्मानित भी किया गया है। घुघली के बाल विकास परियोजना अधिकारी अनुराग त्रिपाठी ने भी अंजलि के विभागीय कार्यों में बेहतर प्रदर्शन बताया।

साल भर में एनआरसी से सुपोषित हुए 90 बच्चे

पोषण पुनर्वास केन्द्र की पोषण विशेषज्ञ पूजा त्रिपाठी ने बताया कि कोरोना काल के एक साल में पोषण पुनर्वास केन्द्र से कुल 90 अति कुपोषित बच्चे स्वस्थ होकर घर लौटे हैं।

उन्होंने बताया कि काउंसिलिंग के दौरान अभिभावकों को साफ सफाई रखने, बच्चे को छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है। छह माह पूरे होने पर अन्नप्राशन कराने, सही तरीके से बच्चों का देखभाल करने, आंगनबाड़ी केन्द्रों से मिलने वाले पोषाहार, दाल, तेल एवं सूखा राशन से विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाकर खिलाने की सलाह दी जाती है। चार्ट तथा फोटो दिखाकर बच्चों को कुपोषित होने का कारण भी बताया जाता है।

साल भर में सुपोषित हुए करीब 4000 बच्चे-डीपीओ

जिला कार्यक्रम अधिकारी दुर्गेश कुमार ने बताया कि जिले में कुल करीब 3164 आंगनबाड़ी केन्द्र हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2020-21 में उचित प्रबंधन, देखभाल एवं फाॅलोअप, समय से टीकाकरण, खान-पान पर जोर, पोषण वाटिका से निकलने वाली साग सब्जियों का लाभार्थियों के बीच वितरण करके , ग्राम स्वास्थ्य पोषण एवं स्वच्छता दिवस के जरिये करीब 4000 बच्चों को सुपोषित किया जा चुका है। बहुत कमजोर बच्चों को एनआरसी भेज दिया जाता है। उन्होंने कहा कि लाभार्थियों के बीच समूह की सदस्य और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा डोर-टू-डोर पोषाहार वितरित किया जाता है।

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