भारत में पेट्रोल डीजल के भाव कम होने के नाम नहीं ले रहे हैं। तो वहीं उत्पादक राष्ट्रों ओपेक ने तेल उत्पादन पर कंट्रोल में ढील देने की हिंदुस्तान की अपील को खारिज कर दिया है और इसके बाद कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत में एक बार फिर बोढ़तरी हो गई इसी के तहत सऊदी अरब ने हिंदुस्तान को एडवाइज दी है कि वह बीते वर्ष जब कच्चे तेल के दाम बहुत नीचे लुढ़क गए थे उस वक्त खरीदे गए कच्चे तेल का उपयोग कर सकता है।
कच्चे तेल का सबसे अधिक इस्तेमाल में आने वाले ब्रेंट कच्चे तेल का भाव शुक्रवार को करीब एक फीसदी बढ़कर 67.44 डालर प्रति बैरल पर पहुंच गया। OPEC तथा उसके सहयोगी मुल्कों, जिन्हें ओपेक प्लस के नाम से जाना जाता है, ने अपने बेठक में इस बात पर सहमति जताई कि अप्रैल में कच्चे तेल का उत्पादन नहीं बढ़ाया जाना चाहिए। इन देशों का मानना है कि मांग में और मजबूत सुधार आने देने का इंतेजार करनी चाहिए।
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ओपेक मुल्कों की 11 फरवरी को होने वाली मीटिंग से पहले इन राष्ट्रों से अपील की थी कि कच्चे तेल के दाम में स्थिरता लाने के लिए वह उत्पादन पर लागू बंदिशों को कम करें। उनका मानना था कि इंटरनेशनल मार्केट में बढ़ते कच्चे तेल के दाम से आर्थिक क्षेत्र में आने वाला सुधार और मांग दोनों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
ओपेक देशों की बैठक के बाद संवददाता सम्मेलन में हिंदुस्तान के आग्रह के बारे में पूछे गए सवाल पर सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुलाजीज बिन सलमान ने कहा कि हिंदुस्तान को बीते वर्ष बहुत कम दाम पर खरीदे गए कच्चे तेल के भंडार में से कुछ तेल का उपयोग कर लेना चाहिए।
हिंदुस्तान ने बीते वर्ष जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम काफी कम दाम पर चल रहे थे अपने रणनीतिक भंडारों को भरने के लिए एक करोड़ 67 लाख बैरल कच्चे तेल की खरीद की थी। उस कच्चे तेल का औसत मूल्य 19 डॉलर प्रति बैरल पड़ा था। प्रधान ने 21 सितंबर 2020 को राज्य सभा में एक सवाल के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी थी।