सपा के दिग्गज नेता आजम खान को कोर्ट भर्ती घोटाला मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सपा को जमानत दे दी है। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आदेश पारित करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार के अधिवक्ता आजम खान के विरूद्ध कोई भी ठोस सबूत पेश नहीं कर सके।
कोर्ट ने कहा कि सरकारी वकील आजम खान के द्वारा की गई किसी भी हेराफेरी और वित्तीय अनियमितता को साबित नहीं कर सके। मामले में सभी तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा, कि आगे की जांच और केस के लिए आजम खान की लगातार हिरासत की जरूरत नहीं है।
बता दें कि आजम को 87 मामलों में से 86 में जमानत मिल चुकी है। सुनवाई के दौरान ये भी सामने आया है कि आजम खान के विरूद्ध 87 मामले दर्ज किए गए थे। दो को छोड़कर बाकी सभी मामलों में उन्हें जमानत दी जा चुकी है। जेल में रहकर आजम खान ने रामपुर सीट से विधानसभा इलेक्शन लड़ा था। 10 मार्च को आए परिणामों में उन्होने जीत हासिल की है।
ये पूरा मामला अखिलेश यादव की सरकार में जल निगम की भर्तियों में घोटाले का है। उस वक्त आजम खान जल निगम के चेयरमैन थे, लिहाजा उनको इसमें आरोपी बनाया गया था। यूपी जल निगम में 122 सहायक अभियंता 853 अवर अभियंता 335 क्लर्क 32 आशुलिपिक समेत 1342 पदों पर भर्तियां हुई। इन्हीं भर्तियों को लेकर घोटाले का इल्जाम लगा।
मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी सरकार आई तो इस मामले में जांच के आदेश दिए गए और 122 भर्ती हुए अभियंताओं को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। एसआईटी ने इस मामले में 25 अप्रैल 2018 को एफआईआर दर्ज कराई। एफआईआर में जल निगम के चेयरमैन रहे आजम खान के साथ गिरीश चंद श्रीवास्तव, विश्वजीत सिंह, नीरज मलिक, अजय यादव, संतोष रस्तोगी, रोमन फर्नांडीस और कुलदीप सिंह नेगी नामजद किए गए।