उइगर मुस्लिमों ने इस देश से मांगी मदद, बताया चीन कैसे करता जुल्म और ज्यादती

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चीन के शिनिजियांग में उइगर मुसलमानों के लिए बने यातना कैंपों को बन्द कराने के लिए विश्व भर के निर्वासित उइगरों ने अमेरिका से मार्मिक अपील की है। इसके लिए इन लोगों ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन को पत्र लिखा है। वर्तमान में अलास्का में दोनों देशों के आला अफसरों की दो दिवसीय वार्ता जारी है। वार्ता में अमेरिका की तरफ से विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन शामिल हैं।

Atrocities with Uygar Muslims

हालांकि उइगरों के मामले में पहले ही विदेश मंत्री ब्लिंकन चीन को चेतावनी दे चुके हैं। व‌र्ल्ड उइगर कांग्रेस के अध्यक्ष डोल्कन ईसा ने कहा कि वार्ता में चीन को सबसे पहले नरसंहार और यातना कैंपों को बंद करने के लिए कहना चाहिए। बताया जा रहा है कि अगर अमेरिका की बात चीन नहीं मानता है तो उसे मजबूरन कोई गंभीर कदम उठाना पड़ सकता है।

बता दें कि चीन के शिनजियांग प्रांत में लगभग दस लाख उइगर मुस्लिम यातना कैंपों में हैं। इन पर तरह-तरह से अत्याचार किए जा रहे हैं। महिलाओं का भी यौन शोषण हो रहा है।

एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में रहने वाले तिब्बती, उइगर और हांगकांग मूल के लोगों ने व्हाइट हाउस के सामने प्रदर्शन कर चीन में हो रहे अमानवीय अत्याचार रोकने और धार्मिक स्वतंत्रता की आजादी की मांग की थी। इसके लिए अमेरिका के जो बाइडन प्रशासन के साथ पहली बार चीन की अलास्का में चल रही आमने-सामने की वार्ता में इनके मुद्दों को मजबूती के साथ उठाया जाए।

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि चीन को इस बात के लिए मजबूर किया जाए कि वह अपने यहां मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता को हर हाल में बहाल करे। प्रदर्शन करने वालों में तमाम लोग ऐसे भी थे, जो हांगकांग के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन का हिस्सा रहे हैं। शिनजियांग और तिब्बत में अत्याचारों के पीड़ित रहे हैं। इनके साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठाने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ता भी थे। अलास्का में दोनों देशों के बीच दो दिवसीय वार्ता चल रही है।

 

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