जैसे जैसे फैलता रहा कोरोना वायरस, वैसे-वैसे वेश्या के ग्राहक की तरह बदलता रहा केजरीवाल का बयान

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नई दिल्ली॥ आज हमने वरिष्ठ अफसरों के साथ बैठक की है। बैठक में हमने ठोस नीति बनायी है। मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम पूरी तरह तैयार हैं। किसी को घबराने की आवश्यकता नहीं है। सभी मूलभूत चीजें हमारे पास पर्याप्त है। दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने दो अप्रैल को यह बात कही थी।

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सीएम केजरीवाल ने दो अप्रैल को दिल्ली में कोरोना के मद्देनजर एक प्रेस वार्ता की थी। उसमें उन्होंने कहा था कि हम पूरी तरह तैयार हैं। हमने यह निर्णय लिया है कि कैसे दिल्लीवासियों को अस्पताल, बेड, एम्बुलेंस, ऑक्सीजन और आईसीयू जैसी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा सकें।

उस समय दिल्ली में 3,432 केस आ चुके थे। लेकिन, सीएमलोगों को इस बात के लिए आश्वस्त कर रहे थे कि किसी को घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि चौथी वेब उतनी खतरनाक नहीं है। लेकिन इसी महीने की 11 तारीख को सीएमसामने आते हैं और बोलते हैं कि दिल्ली में कोरोना की चौथी लहर है, जो बेहद खतरनाक है। आज दिल्ली में दस हजार से ज्यादा केस आ चुके हैं। कोरोना हद से ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है।

जब जानकार इसे कोरोना की दूसरी लहर कह रहे थे तो दिल्ली के सीएमअरविंद केजरीवाल इसे दिल्ली के लिए चौथी लहर मान चुके थे। लेकिन, ध्यान देने वाली बात यह है कि जब पूरा देश कोरोना की इस दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित था तो दिल्ली सरकार ने इसे चौथी लहर मानते हुए रोकने के गंभीर प्रयास क्यों नहीं किए? वक्त क्यों लगाया?

कम होती जा रही है बेड की संख्या

ऐसे कुछ गंभीर सवाल हैं, जो दिल्ली की जनता के मन में उठ रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि वे दिल्ली में स्वास्थ्य व्यवस्था के ध्वस्त होने का इंतजार कर रहे थे और उसके कुछ दिन बाद ऐसा ही हुआ। उनके बयान के ठीक पांच दिन बाद दिल्ली में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गई। इस बात को खुद सीएमस्वीकार करते हैं। 18 अप्रैल की प्रेस वार्ता में सीएमकेजरीवाल कहते हैं कि ‘दिल्ली ऑक्सीजन और बेड की कमी से बुरी तरह जूझ रही है। आईसीयू बेड की संख्या भी लगातार कम होती जा रही है।’

कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण के बीच दिल्ली के सीएमलगातार अपने बयानों को बदलते रहे। लोग पूछ रहे हैं कि उन्होंने जनता को सही स्थिति से अवगत क्यों नहीं कराया? और इतने कम दिनों में दिल्ली के हालात बद से बदतर कैसे हो गये।?

ये हकीकत है कि जैसे-जैसे दिल्ली में कोरोना का संक्रमण फैलता गया, यहां के सीएमअपने ही बयानों में उलझते गए। वे 11 अप्रैल को लोगों के सामने आए थे तो कहा कि ‘लॉकडाउन किसी समस्या का समाधान नहीं है। दिल्ली में लॉकडाउन नहीं लगने वाला है।’ लेकिन उसके ठीक आठ दिन बाद जनता के सामने आकर उन्होंने कहा कि ‘परिस्थितियों को देखते हुए आज एक मात्र विकल्प लॉकडाउन है। इसलिए आपकी सरकार को लॉकडाउन का फैसला लेना पड़ रहा है।’

दी गई गलत जानकारी

दिल्ली के नागरिक अजय चौधरी ने कहा कि ‘यहां की जनता को झांसा दिया गया है। इसकी पूरी जिम्मेदारी शासन को लेनी चाहिए।’ आगे उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर भी गलत जानकारी दी गई।

बता दें कि ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर दिए बयान से सीएमअरविंद केजरीवाल 18 अप्रैल को मुकर गए। उन्होंने पत्र लिखकर राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सीजन की भारी कमी की बात स्वीकार की और दूसरे राज्यों को पत्र लिखकर ऑक्सीजन की मांग कर डाली। मामला हास्यास्पद तब हो गया, जब दूसरे राज्यों को केंद्र सरकार की तरफ से अतिरिक्त ऑक्सीजन देने की शुरुआत हुई तो दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन के खाली सिलेंडर खोजने शुरू किये। इसके लिए दिल्ली सरकार ने बकायदा अखबारों में विज्ञापन तक प्रकाशित करवाये।

कुल मिलाकर राजधानी दिल्ली की स्थिति इतनी भ्रामक हो गई कि 27 अप्रैल को दिल्ली उच्च न्यायालय ने इसपर टिप्पणी करते हुए कहा कि ‘आपकी व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है, जो किसी काम की नहीं है। व्यवस्था ठीक कीजिए। अगर आपके अफसरों से व्यवस्था नहीं संभल रही है तो बताएं, हम तब केंद्र के अफसरों को लगाएंगे। लोगों को हम मरने नहीं दे सकते।’ क्या इतनी सख्त टिप्पणी का दिल्ली सरकार पर असर होगा! यह आने वाले दिनों में पता चलेगा।

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