बाक्सा (असम)। असम विधानसभा चुनावों (Assam Assembly Election 2021) की घोषणा के साथ ही राजनीतिक पार्टियां अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए गठबंधन बनाने में जुट गयी हैं। इस कड़ी में पिछले पांच वर्षों तक भाजपा के साथ गठबंधन में रही बोड़ोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) ने अपना रास्ता बदल लिया है। बीपीएफ अपने जन्मकाल से ही कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल होता रहा है।
हालांकि, इसबार बीपीएफ को भाजपा ने छोड़ा है। कारण भाजपा को बोड़ोलैंड इलाके में यूपीपीएल के रूप में नया साझीदार मिल गया है। बीपीएफ ने बीटीसी चुनाव अकेले चुनाव लड़ा था। तभी से तय हो गया था कि भाजपा-बीपीएफ के बीच गठबंधन लंबे समय तक चलने वाला नहीं है। बीटीसी चुनाव (Assam Assembly Election 2021) के बावजूद दोनों पार्टियां असम सरकार में अंतिम समय तक साथ रहीं।
बीपीएफ के सामने भाजपा गठबंधन को छोड़ने के बाद दो विकल्प थे। एक कांग्रेस का महागठबंधन और दूसरा राइजर दल और असम जातीय परिषद। काफी सोच-विचार करने के बाद हग्रामा महिलारी नेतृत्वाधीन बीपीएफ ने कांग्रेस के महागठबंधन में शामिल होने का निर्णय ले लिया है। (Assam Assembly Election 2021)
शनिवार शाम को बाक्सा जिला के बरमा आयोजित पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में कांग्रेस महागठबंधन में शामिल होने का बीपीएफ ने निर्णय लिया। हग्रामा महिला ने अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट प्रकाशित करते हुए लिखा है कि असम में शांति, एकता, विकास और भ्रष्टाचार मुक्त सरकार के गठन के लिए महागठबंधन में शामिल होने का निर्णय लिया गया है। चुनाव (Assam Assembly Election 2021) में बीपीएफ कांग्रेस नेतृत्वाधीन महागठबंधन के साथ मिलकर एकसाथ काम करेगा।
उल्लेखनीय है कि महागठबंधन में कांग्रेस, एआईयूडीएफ, वामपंथी पार्टियों के साथ ही आंचलिक गण मोर्चा शामिल है। माना जा रहा है कि बीपीएफ के महागठबंधन में शामिल होने से बोड़ोलैंड में महागठबंधन को जरूर कुछ फायदा हो सकता है।