मुसलमानों को लेकर असम के CM बोले, जनसंख्या नियंत्रण करें, आबादी बढ़ी तो…

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नयी दिल्ली। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विवादित बयान दे दिया है। उन्होंने प्रवासी मुसलमानों को जनसंख्या नियंत्रण की नसीहत दी है। सरमा ने इसे सामाजिक खतरों से जोड़ते हुए कहा है कि प्रवासी मुस्लिम फैमिली प्लानिंग पर ध्यान दें तो जमीनी अतिक्रमण जैसी समस्याओं का समाधान हो सकता है।

Himanta Biswa Sarma

कामाख्या मंदिर की जमीन पर भी अतिक्रमण हो जाएगा

मुख्यमंत्री का कहना है कि अगर जनसंख्या ऐसे ही बढ़ती रही तो एक दिन कामाख्या मंदिर की जमीन पर भी अतिक्रमण हो जाएगा। यहां तक कि मेरा घर भी अतिक्रमण से नहीं बच पाएगा। वे गुरुवार को गुवाहाटी में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में अतिक्रमण विरोधी मुहिम से जुड़े सवालों का जवाब दे रहे थे।

जनसंख्या विस्फोट भी गरीबी की तरह प्रमुख समस्या

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हम विधानसभा के पिछले सत्र में जनसंख्या नीति लागू कर चुके हैं, लेकिन जनसंख्या का बोझ कम करने के लिए अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के साथ खास तौर से काम करना चाहते हैं। उनका कहना है कि जनसंख्या विस्फोट भी गरीबी और अतिक्रमण की तरह प्रमुख सामाजिक समस्या है।’

सरमा ने कहा है कि जंगलों, मंदिर और वैष्णव मठों की जमीन पर अतिक्रमण की छूट नहीं दी जा सकती है, लेकिन मैं समझता हूं कि जनसंख्या बढ़ने की वजह से ऐसा हो रहा है। मैं दूसरे पक्ष का दबाव भी समझता हूं। आखिर लोग कहां रहेंगे?

असम की आबादी में 31% प्रवासी मुस्लिम

असम के सेंट्रल और लोअर इलाकों में बंगाली बोलने वाले मुस्लिमों को बांग्लादेशी प्रवासी माना जाता है। पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने यह मैसेज दिया था कि वह असम के मूल समुदायों को प्रवासी मुसलमानों से बचाने के कदम उठाएगी। असम की 3.12 करोड़ की आबादी में 31% प्रवासी मुस्लिम हैं। चुनावों के दौरान राज्य की 126 में से 35 विधानसभा सीटों पर इनकी अहम भूमिका रहती है।

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