Mahabharat- युद्ध की शुरुआत में ही भीष्म ने कर दिया था ऐलान कि वे पांडवों का वध कर देंगे, जानिए क्यों

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अजब-गजब॥ Mahabharat (महाभारत) में कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध शुरू हो गया था और पितामह भीष्म कौरवों के सेनापति थे। युद्ध के प्रारंभ से ही दुर्योधन ने Bhishma (भीष्म) व्यंग्य करना शुरू कर दिया था। दुर्योधन की ऐसी बातों से दुखी होकर पितामह ने घोषणा कर दी थी कि कल वे सभी पांडवों का वध कर देंगे।

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कुछ ही क्षणों में पांडवों तक भी ये बात पहुंच गई कि Bhishma (भीष्म) ने उनका वध करने का संकल्प कर लिया है। इससे पांडव चिंतित हो गए, क्योंकि पितामह भीष्म को युद्ध में हराना असंभव था। ये बात श्री कृष्ण को भी मालूम हुई तो वे द्रौपदी को लेकर भीष्म के शिविर पहुंचे।

श्री कृष्ण छावनी के बाहर ही खड़े हो गए और द्रौपदी को भीष्म के पास भेज दिया और कहा कि अंदर जाकर पितामह को प्रणाम करो। श्री कृष्ण की बात मानकर द्रौपदी Bhishma (भीष्म) के पास गई और उन्हें प्रणाम किया। भीष्म ने अपनी कुलवधु को अखंड सौभाग्यवती भव का आशीर्वाद दे दिया।

इसके बाद पितामह ने द्रौपदी से पूछा कि तुम इतनी रात में यहां अकेली कैसे आई हो? क्या श्री कृष्ण तुम्हें यहां लेकर आए हैं? द्रौपदी ने कहा कि जी पितामह, मैं श्री कृष्ण के साथ ही यहां आई हूं और वे शिविर के बाहर खड़े हैं।

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ये जानकर भीष्म फौरन द्रौपदी को लेकर शिविर के बाहर आए और श्री कृष्ण को प्रणाम किया। भीष्म ने श्री कृष्ण से कहा कि मेरे एक वजन को मेरे दूसरे वचन से काट देने का काम श्री कृष्ण ही कर सकते हैं। इसके बाद श्री कृष्ण और द्रौपदी अपने शिविर के ओर चल दिए। रास्ते में श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा कि अब सभी पांडवों को जीवनदान मिल गया है। बड़ों का आशीर्वाद कवच की तरह काम करता है, इसे कोई अस्त्र-शस्त्र भेद नहीं सकता। इसीलिए घर के बड़ों का हमेशा सम्मान करना चाहिए। उनकी शुभकामनाएं हमारी बाधाओं को कम कर सकती है।

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