एम्सटर्डम। नीदरलैंड की संसद ने चीन में उइगरों के साथ हो रहे व्यवहार को नरसंहार बताया है। नीदरलैंड ऐसा पहला देश है, जिसने यह कदम उठाया है। यह ऐसा प्रस्ताव है, जो बाध्य नहीं है। माना जा रहा है कि यह अन्य यूरोपीय संसदों को इसी तरह के बयान जारी करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। दरअसल नरसंहार अंतरराष्ट्रीय स्तर का अपराध है।
पोलिटिको मैग्जीन की एक रिपोर्ट में कार्यकर्ताओं और मानवाधिकारों के विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि दूरस्थ पश्चिमी क्षेत्र शिंजियांग में 10 लाख मुसलमानों को हिरासत में लेकर शिविरों में रखा गया है। पश्चिमी राजनेताओं और कार्यकर्ताओं ने चीन पर आरोप लगाए हैं कि इन शिविरों में उइगरों को जबरन मजदूरी कराने के साथ इन्हें यातना दी जाती है।
हालांकि चीन ने खुद पर लगे इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि इन शिविरों में व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता हैं। हेग में स्थित चीनी दूतावास की ओर से गुरुवार को कहा गया है कि शिंजियांग में नरसंहार होने की बात झूठ है। डच की संसद जानबूझकर चीन पर धब्बा लगाना चाहती है और यह चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है।
इससे पहले कनाडा की संसद में भी चीन में हो रहे नरसंहार को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया था। मंगलवार को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में यूएस के स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा है कि यूएस सेक्रेट्री ऑफ स्टेट एंटोनी ब्लिंकन ने स्पष्ट रूप से कहा है कि शिंजियांग में उइगरों का नरसंहार हो रहा है और यह मानवता के खिलाफ अपराध है।
डच के विदेश मंत्री स्टेफ ब्लॉक ने कहा है कि सरकार नरसंहार शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहती है। उन्होंने कहा कि उइगरों की स्थिति चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि नीदरलैंड की इस मुद्दे पर अन्य देशों के साथ काम करने की उम्मीद है।
उल्लेखनीय है कि चीन के शिंजियांग प्रांत में उइगरों के साथ हो रहे अत्याचार की वैश्विक स्तर पर लगातार निंदा हो रही है। लेकिन चीन खुद पर लगे इन आरोपों का खंडन कर रहा है।