लखनऊ। डाक अधीक्षक देवरिया (Superintendent of Posts Deoria) फूलचन्द यादव पर कर्मचारियों को प्रताड़ित करने व अवैध धन उगाही का आरोप चस्पा है। मनमाने तरीके से ट्रांसफर और करोड़ों के वित्तीय अनियमितताओं के प्रकरण में कारवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हुई। अधीक्षक के काले कारनामों को डम्पिंग जोन में पार्सल करने की यह कोशिशें बयां कर रही हैं कि भ्रष्टाचार के इस खिलाड़ी को आला अफसरों का शह प्राप्त है, जो उनके खिलाफ उठती हर आवाज को मात दे रही है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि निदेशक डाक सेवायें गोरखपुर व चीफ पोस्ट मास्टर लखनऊ भी उनकी अनियमितताओं की पोटली के आगे अपनी आंखे मूंदे बैठे हैं।
अधीक्षक फूलचन्द यादव (Superintendent of Posts Deoria) पर ट्रांसफर के नाम पर धन उगाही के अलावा विभागीय वित्तीय अनियमितताओं के प्रकरण में भी भ्रष्टाचारियों को बचाने का आरोप है। उप डाकघर रामपुर कारखाना में एक करोड़ तीस लाख का फ्राड किया गया। आरोप है कि अधीक्षक ने इस प्रकरण में मोटी रकम लेकर एक कर्मचारी को निलम्बित कर कार्रवाई की खानापूर्ति कर दी। अन्य आरोपी मजे ले रहे हैं। फूलचन्द यादव पर कायदे कानूनों को ताक पर रखकर ट्रांसफर का आरोप है। विभागीय कर्मचारियों के मुताबिक इस बारे में जब सवाल उठते हैं तो फूलचन्द आला अफसरों से अपने संबंधों का हवाला देते हुए अपना बचाव करने का दम भरते हैं। उनका कहना है कि ट्रांफसर के लिए कमेटी के अनुमोदन की जरूरत नहीं है।
ग्रामीण डाक घर के कर्मचारियों को आये दिन निलम्बित कर दिया जाता है और फिर महीने भर बाद ही उनकी बहाली भी हो जाती है। अधीक्षक (Superintendent of Posts Deoria) पर निलम्बन और बहाली के ऐसे प्रकरणों के पीछे भी धन उगाही का आरोप है। इतना ही नहीं ग्रामीण डाक घर के कर्मचारियों के रिक्त स्थान पर भी तीन माह का बिल एक साथ पास किया जाता है। ऐसे में सवाल यह भी खड़े हो रहे हैं कि क्या ऐसा डाक विभाग के नियमों के अनुकूल है। इतना ही नहीं पोस्टमैन के पद पर कार्यरत विपिन कुमार पांडेय का जून 2019 से अब तक वेतन भुगतान भी लम्बित है। नतीजतन उनका परिवार आर्थिक संकटों का सामना कर रहा है।