नई दिल्ली॥ सरकारी इलाके की सबसे बड़ी बीमा कंपनी लाइफ इंश्योरेंस लाइफ (LIC) के उपभोक्ताओं पर अब संकट के बादल मंडराने लगे हैं। LIC कभी विश्वास का दूसरा नाम हुआ करता था लेकिन अब LIC के बढ़ते NPA से उसके उभोक्ताओं के निवेश पर उपभोक्ता लग सकता है। पिछले 5 साल में LIC का NPA दोगुना हो चुका है।
आंकड़ों के अनुसार, LIC का NPA मौजूदा वक्त में 30 हजार करोड रुपए से अधिक पहुंच चुका है जो खतरे की घंटी है। कैश स्टॉक के मामले में LIC सबसे आगे है। निवेशकों की तरफ से आने वाली नकदी LIC को सरकारी क्षेत्र में संकटमोचक के तौर पर खड़ा करती है। LIC के बढ़ते NPA के लिए बैंकों जैसी गलती दोहराए जाने की बात सामने आ रही है।
लाइफ इंश्योरेंस लाइफ ने सार्वजनिक कंपनियों और बैंकों के शेयर खरीद कर उनको जीवन दान देने का काम किया है लेकिन इस कदम से LIC की वित्तीय स्थिति खुद खस्ताहाल होते जा रही है। आंकड़ों के अनुसार, मौजूदा वित्तीय वर्ष में LIC के NPA में भारी वृद्धि हुई है। वर्ष 2019-20 के पहले 6 महीने में LIC के NPA में 6.10 फ़ीसदी की बढ़त हुई है।
लाइफ इंश्योरेंस लाइफ में NPA का ये आंकड़ा निजी क्षेत्र की बड़ी बैंकिंग कम्पनियों आईसीआईसी’आई, एक्सिस बैंक और यस बैंक के ही आसपास है। ये सभी बैंक बढ़ते हुए हैं एमपीए को लेकर परेशान हैं। NPA के कार’ण हाल के वक्त में बैंकिंग सेक्टर के ग्राहकों का हुआ बुरा हाल सामने देखने को मिल चुका है। अब LIC के ग्राहकों के लिए आने वाले वक्त में ये परेशानी का कारण बन सकता है।