बैंकों ने भगोड़े मेहुल चोकसी समेत 50 विलफुल डिफॉल्टर्स के माफ किये कर्ज- RTI में खुलासा

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नई दिल्ली॥ भारत सरकार के कुप्रबन्धन और शेखी ने देश की अर्थव्यवस्था को गर्त में डाल दिया है। किसान, छोटे कारोबारी और आम आदमी भले ही मोहताजी में जीने को मजबूर है, लेकिन सरकार की कृपा से विलफुल डिफाल्टर मौज में हैं। आरटीआई में खुलासा हुआ है कि भारतीय बैंकों ने पीएनबी घोटाले के आरोपी फरार हीरा व्यापारी मेहुल चौकसी समेत 50 टॉप विलफुल डिफॉल्टर्स के 68,607 करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिया है। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक ने सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में दी है।

Mehul Choksi़

उल्लेखनीय है कि गत 16 फरवरी को संसद में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा इस संबन्ध में पूछे गए सवाल का वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने जवाब नहीं दिया था। इस पर आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने आरबीआई से 50 टॉप विलफुल डिफॉल्टरों और 16 फरवरी तक उनके वर्तमान लोन की स्थिति की जानकारी मांगी थी। आरबीआई ने बताया कि 68,607 करोड़ रुपये में बकाया और तकनीकी तरीके से लिखित राशि शामिल है, 30 सितंबर, 2019 तक माफ किया गया है। आरटीआई कार्यकर्ता ने विदेशी कर्जदारों के बारे भी जानकारी मांगी थी, लकों आरबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए विदेशी कर्जदारों के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया।

बकायेदारों की इस सुची में भगोड़े मेहुल चोकसी का नाम सबसे ऊपर है। मेहुल चोकसी द्वारा नियंत्रित कंपनी गीतांजलि जेम्स लिमिटेड और उसकी सहयोगी कंपनियों जिली इंडिया लिमिटेड तथा नक्षत्र ब्रांड्स लिमिटेड के नाम शामिल हैं। इन कंपनियों पर संयुक्त रूप से करीब 8,100 करोड़ रुपया बकाया है।

इस सूची में संदीप झुनझुनवाला और संजय झुनझुनवाला की कंपनी आरईआई एग्रो का भी नाम है, जिस पर 4,314 करोड़ बकाया है। यह कंपनी पहले से चर्चा में थी। सूची में एक अन्य भगोड़े हीरा कारोबारी जतिन मेहता की कंपनी विन्सम डायमंड्स एंड ज्वैलरी का 4,076 करोड़ रुपये माफ किया गया है।

इस सूची में 3,000 करोड़ रुपये से कम के कर्ज वाली कंपनियों में रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड (2,850 करोड़ रुपये), पंजाब की कुडोस केमी (2,326 करोड़ रुपये), इंदौर की रुचि सोया इंडस्ट्रीज (2,212 करोड़ रुपये) और ग्वालियर की जूम डेवलपर्स (2,012 करोड़ रुपये) जैसे नाम शामिल है। इसी तरह 2,000 करोड़ रुपये से कम के बकायेदासर 18 कंपनियों के कर्ज को आरबीआई ने बट्टा खाते में डालने की मंजूरी दी है।

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उपरोक्त के अतिरिक्त अन्य 25 कंपनियां हैं जिन पर 605 करोड़ रुपये से लेकर 984 करोड़ रुपये तक, या तो व्यक्तिगत रूप से या समूह कंपनियों के रूप में बकाया है। इसी तरह 50 टॉप विलफुल डिफॉल्टरों में से छह शानदार हीरे तथा स्वर्ण आभूषण उद्योगों से जुड़े हुए हैं।

उल्लेखनीय है कि पहले से ही मोदी सरकार पर आर्थिक मोर्चे पर घोर नाकामी के आरोप लगते रहे हैं। सूचना के अधिकार के जरिये हुए इस खुलासे के बाद नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस को कारगर अस्त्र मिल गया है।

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