आमतौर पर इंसानों की औसत आयु 70-80 साल होती है, लेकिन चूहे, कुत्ते, बिल्ली आदि जानवरों की उम्र बेहद कम होती है। जानवरों और इंसानों के शरीर में ऐसा क्या फर्क होता है कि कुछ जीव जल्दी बूढ़े होकर मर जाते हैं जबकि कई जीवों पर उम्र का असर धीरे-धीरे नजर आता है। इस बात को लेकर तमाम वैज्ञानिक लंबे समय से रिसर्च कर रहे हैं। अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है उन्होंने इस सवाल का जवाब तलाश लिया है।
एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वैज्ञानिकों ने इस रहस्य को सुलझाने के लिए स्तनपायी जीवों पर एक रिसर्च किया है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों के मुताबिक जीवों के डीएनए में उनकी उम्र का राज छिपा होता है। ऐसे में जितनी तेज रफ्तार से डीएनए में परिवर्तन होगा, कोई जीव उतना ही कम समय तक जिंदा रहेगा। ब्रिटेन के वेलकम सेंगर इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिकों ने इंसानों के साथ कुत्ते, घोड़े, जिराफ, शेर, खरगोश, चूहे, बिल्ली जैसे 16 स्तनपायी जानवरों के डीएनए का अध्ययन किया।
इस रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि डीएनए में जो म्यूटेशंस पाया जाता है उनकी संख्या लगभग इन सभी में एक जैसी होती है। इन सभी जीवों में पूरी जिंदगी में लगभग 3200 बार डीएनए का म्यूटेशंस होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस जीव में जितनी जल्दी-जल्दी म्यूटेशन होते हैं उनकी मौत उतने ही कम समय में हो जाती है।
वैज्ञानिकों ने इस शोध में पाया कि एक चुहिया के डीएनए में साल में औसतन 800 बार बदलाव होते हैं। यही वजह है कि चुहिया चार साल से अधिक समय तक जिन्दा नहीं रहती है। इसी तरह कुत्तों में करीब 249, शेर में 160, जिराफ में 99 और इंसानों में करीब 47 बार डीएनए परिवर्तित होता है। इसके अनुसार इनकी औसत उम्र में अंतर नजर आता है।