संवेदनहीनता की हदें पार : योगी राज में टायर और पेट्रोल से जलाय जा रहे शव!

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बलिया। गंगा किनारे शवों को टायर जलाने को लेकर नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने योगी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि योगी सरकार के शब्दकोश में दायित्व बोध और दया जैसे शब्द नहीं हैं। ऐसी सरकार को केवल फटकार से नहीं समझाया जा सकता। उच्च न्यायालय को सूबे के हित में इस निर्मम व निर्दयी सरकार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर विचार करना चाहिए।
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बुधवार को जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने कहा कि बलिया की हालत तो और भी अधिक खराब है। यहां पेट्रोल डालकर टायरों से शव जलाए जा रहे हैं। उच्च न्यायालय से आग्रह है कि वह योगी सरकार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर विचार करे।

शवों को लेकर यूपी-बिहार का नाटक खेल रही

 नेता प्रतिपक्ष श्री चौधरी ने कहा कि प्रदेश इस समय जानलेवा दौर से गुजर रहा है। जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी टीम नदियों में उतराए शवों को लेकर यूपी-बिहार का नाटक खेल रही है। इस नाटक को मूर्त रूप देने के लिए गाज़ीपुर के जमानियां में बिहार से शव लेकर गंगा तट पर आने वालों लोगों को परेशान किया गया।
उन्होंने कहा कि इस बदहाल स्थिति में भी सीएम और उनकी टीम का अधिकतम समय अखबारों में हेड लाइन तय करने और उसे प्रचारित कराने में लग रहा है। उन्होंने कहा है कि विपक्ष ही नहीं, अब भाजपा के विधायक भी बोलने लगे हैं कि हम सत्य कहेंगे तो हमारे पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा कायम हो जाएगा। कोई नहीं सुन रहा है, कहीं कोई व्यवस्था नहीं है। वेंटिलेटर, ऑक्सीजन व इंजेक्शन नहीं होने का दर्द तो केंद्र सरकार और उप्र के मंत्री भी उजागर कर चुके हैं।

सोशल मीडिया में वीडियो वायरल होने पर कार्रवाई

जानकारी के अनुसार, बलिया के माल्देहपुर में पुलिस कर्मियों ने गंगा में बहती लाश को निकाल कर चिता पर लकड़ी के साथ-साथ टायर भी रख दिए। एसपी विपिन टाडा ने बताया कि सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें पुलिसकर्मी पेट्रोल और टायरों से शव जला रहे हैं। इस मामले में वहां तैनात 5 पुलिसकर्मियों को संवेदनहीनता के आरोप में निलंबित कर दिया गया है।

प्रधानों का उपयोग महामारी से निपटने में करे सरकार

नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी ने योगी सरकार को नवनिर्वाचित पंचायत सदस्यों को कोरोना महामारी से जूझ रहे प्रदेश के लिए काफी उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 58 हजार 194 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें निर्वाचित प्रधान, बीडीसी व जिला पंचायत सदस्य हैं। इस महामारी के खिलाफ जागरण और बचाव में इस बड़ी लोकतांत्रिक ताकत का उपयोग हो सकता है लेकिन सरकार खुद कुछ करना नहीं चाहती है और दूसरे को भी कुछ करते हुए नहीं देखना चाहती है। सरकार के इस रवैये से चारों तरफ केवल आह सुनाई पड़ रहा है।
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