आने वाले दशक में स्वदेशी रूप से विकसित पांचवी पीढ़ी के विमान भारतीय वायुसेना की मुख्य ताकत होंगे। इसलिए भारतीय वायुसेना 6 जी तकनीकों के साथ स्वदेशी युद्ध प्रणाली विकसित कर रही है। आगामी दशक के उत्तरार्ध तक स्वदेशी लड़ाकू विमानों को वायुसेना में शामिल करने से ’आत्मनिर्भरता’ भी बढ़ेगी। वायुसेना ने 2030 तक लड़ाकू विमानों की 38 स्क्वाड्रन तैयार करने की योजना बनाई है।
भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से खास बातचीत में भविष्य में युद्ध की तैयारियों के बारे में पूछने पर कहा कि भारतीय वायुसेना ’डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स, स्मार्ट विंगमैन कॉन्सेप्ट, वैकल्पिक रूप से मानवयुक्त प्लेटफार्मों, ड्रोन, हाइपरसोनिक हथियारों सहित 6 जी तकनीकों के साथ स्वदेशी युद्ध प्रणाली विकसित कर रही है।
भदौरिया ने खुलासा किया कि पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों (एएमसीए) के बेड़े में शामिल होने तक लड़ाकू विमानों की कमी को पूरा करने के लिए जल्द ही 114 मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट के सौदे के लिए सरकार से मंजूरी मिलने की उम्मीद है, जिसके बाद औपचारिक खरीद प्रक्रिया शुरू होगी। इससे भी आने वाले दशक में लड़ाकू विमानों की स्क्वाड्रन को नया स्वरूप मिलेगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या राफेल की दो और स्क्वाड्रन बनाने का विचार है तो उन्होंने इसे ’बहुत जल्दी कहना’ कहा। उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना ने भविष्य में ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत लड़ाकू विमान तेजस एलसीए पर अपना भरोसा रखा है। उन्होंने यह भी कहा कि ड्रोन प्रारंभिक संघर्ष के लिए तो अच्छे होते हैं लेकिन पूर्ण युद्ध के समय अतिसंवेदनशील हो जाते हैं।
हाल ही में जारी रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (डीएपी) 2020 में शामिल ‘मेक इन इंडिया’ के तहत 114 लड़ाकू विमानों के सौदे फाइनल करके स्क्वाड्रन की यह कमी पूरी की जाएगी। एयरचीफ मार्शल भदौरिया ने संकेत दिए हैं कि वायु सेना को जल्द ही 114 लड़ाकू विमानों के सौदे के लिए सरकार से मंजूरी मिलने की उम्मीद है, जिसके बाद औपचारिक खरीद प्रक्रिया शुरू होगी।
वायुसेना प्रमुख भदौरिया ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया है कि हम चाहे जिस तेज गति से आगे बढ़ें लेकिन भारतीय वायुसेना आने वाले दशक में अपनी अधिकृत 42 स्क्वाड्रन तक नहीं पहुंच पाएगी बल्कि 36-38 स्क्वाड्रन बनना ही एक उपलब्धि होगी। उन्होंने यह भी कहा कि लड़ाकू स्क्वाड्रन की कमी होने के बावजूद वायुसेना ‘टू फ्रंट वार’ के लिए तैयार है।
भदौरिया ने कहा कि अगले तीन साल में फ्रांस से बाकी राफेल और हल्के लड़ाकू विमान एलसीए मार्क-1 मिलने पर स्क्वाड्रन को पूरी ताकत के साथ देख रहे हैं। इसके साथ ही वर्तमान बेड़े के अलावा रूस से मिलने वाले सुखोई-30 एमएमआई और मिग-29 विमान भी स्क्वाड्रन की कमी को पूरा करेंगे।