जीव हत्या करना बेहद घिनौना कृत्य है, लेकिन कई बार इस हत्या को लोग सही ठहराते है. कुछ ऐसा ही आजकल ऑस्ट्रेलिया में भी देखने को मिल रहा है. आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया सरकार ने देसी जीवों को बचाने को परदेसी बिल्लियों की बलि देने का फैसला किया है। 2020 के अंत तक उसकी 20 लाख जंगली बिल्लियों को मारने की योजना है। इसका एक बड़ा कारण भी है.
आपको बता दें कि ऑस्ट्रेलिया के पशु प्रेमी जहां जंगली बिल्लियों पर काबू पाने के इस तरीके की कड़ी आलोचना कर रहे हैं, ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों की नजर में यह देसी जीवों को बचाने का सबसे कारगर जरिया है। औपनिवेशिक काल में ऑस्ट्रेलिया में पहुंचने वाली बिल्लियां, तोता, मेंढक, चूहे, गिलहरी समेत स्थानीय पक्षियों व सरिसृप-स्तनपायी जीवों के लिए बड़ा खतरा बन गई हैं।
वहीँ एक अंग्रेजी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स’ में छपे एक लेख के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया के पास जंगली बिल्लियों को मारने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। जंगली बिल्लियों ने ऑस्ट्रेलिया के 99.8% हिस्से में डेरा जमा लिया है। देश में इनकी कुल आबादी 20-60 लाख के बीच आंकी गई है। कई इलाकों में प्रति वर्ग किलोमीटर के दायरे में सौ जंगली बिल्लियां पाई जाती हैं। ऐसे में उन्हें पकड़ कहीं बसाना न सिर्फ बेहद चुनौतीपूर्ण, बल्कि खर्चीला भी है।
वजह
400 कशेरुकी जीवों के शिकार से पेट भरती हैं जंगली बिल्लियां।
28 नस्लें इनमें से ‘विलुप्तप्राय’ जीवों की सूची में शामिल।
वार
05 द्वीप से इन बिल्लियों की आबादी खत्म करने की योजना।
10 नए ‘जंगली बिल्ली मुक्त’ गलियारे बनाने की कोशिश।
जहरीले सॉसेज से मौत
ऑस्ट्रेलिया सरकार ने जंगली बिल्लियों की घनी आबादी वाले इलाके में ऐसे सॉसेज गिराने का फैसला किया है, जिसमें ‘1080’ नाम का जहर मिला है। ‘सोडियम फ्लूरोएसिटेट’ से लैस इस जहर से कोई गंध भी नहीं आती। सरकार ने एक बिल्ली का शिकार कर उसकी खोपड़ी पेश करने पर दस डॉलर (करीब 700 रुपये) का इनाम देने की भी घोषणा की है।
अन्य जीव जहर से अछूते
विशेषज्ञों के अनुसार ‘सोडियम फ्लूरोएसिटेट’ मटर के पौधों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। विकास के क्रम में ऑस्ट्रेलिया में पनपे जीवों ने इस जहर के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली थी। लिहाजा ‘1080’ मिले सॉसेज उनके लिए जानलेवा नहीं साबित होंगे।