बिहार विधानसभा चुनाव : कोई पहुंच रहे हैं खेत-खलिहान, तो कोई झाड़ रहे हैं धान

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चुनाव जीतने के बाद नेताजी महंगे दामों की एसी गाड़ी में घूमते रहे, बड़े बंगलों में पांच साल तक भले ही सत्ता सुख भोगते रहे लेकिन चुनाव आते ही जनता को रिझाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। एसी से नहीं निकलने वाले और विधानसभा पहुंचने की आश लगाए नेता आज जनता के पैर पकड़ रहे हैं, आरजू मिन्नत और बड़े-बड़े वादे कर रहे हैं। कोई खेत खलिहान तक जा रहा है, कोई मतदाताओं के घर बैठकर धान झार रहा है तो कोई उनके बच्चों को खेला रहा है।

candidates have wooing voters in different ways

कोई चाय की दुकान पर बैठकर अपने को सबका बेटा कह रहा है तो कोई अपने घर का दरवाजा हमेशा लोगों के लिए खुले रखने की बातें कर रहा है। लेकिन जनता भी जागरूक हो चुकी है। नेता महंगे दामों के मोबाइल रखते हैं तो सस्ता ही सही, लेकिन करीब सभी घरों में फोर-जी मोबाइल है और जनता उस पर नेताओं की करामात देखकर इस चुनाव में खूब झपकी दे रही है।

पिछले ही सप्ताह बिहार सरकार के पूर्व समाज कल्याण मंत्री और चेरिया बरियारपुर से एक बार फिर जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ रही मंजू वर्मा का एक वीडियो वायरल हुआ है। जिसमें वह एक मतदाता के घर में बैठकर उनके साथ धान झार रही हैं। वहीं, प्रत्याशियों की फौज में से कई नेताओं के ऐसे फोटो सामने आ रहे हैं, जिसमें वे खेत-खलिहान में घूम रहे हैं, धरती पर बैठकर मतदाताओं से बात कर रहे हैं।

कुल मिलाकर कहा जा रहा है कि पांच साल तक जनता से नहीं मिल कर अपने को व्यस्त रखने वाले नेता जनता के दरबार जा रहे हैं। पांच साल तक जनता उनके दरबार में जाकर लौटती रही और अब वे जनता के दरबार में दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश विक्रम बताते हैं कि किसानों के हित के लिए कोई भी नेता सदन में सशक्त संघर्ष नहीं करता लेकिन चुनाव सिर पर आ गया है तो एक बार विधायक बनने की आस लगाए नेता, जनता को ठगने के लिए बाजार से लेकर खेत-खलिहान तक घूम रहे हैं। नेताजी को सफलता की डोर पकड़नी है, इसलिए वह गांव के खेत-खलिहान की ओर चल पड़े हैं। कोई गाय-भैंस को पुचकार रहा है तो कोई धान झार रहा है। भोले-भाले ग्रामीणों को रिझाने के लिए वह गांव और खेत की पगडंडियों पर चक्कर लगा रहे हैं। रोज अहले सुबह से देर रात तक अलग-अलग पार्टी के नेता और उनके समर्पित कार्यकर्ता गांव की गलियों में घूम रहे हैं।

हालांकि अब जनता भी जागरूक हो चुकी है और उन्हें बरगलाना संभव नहीं दिख रहा है। आने वाले हर दल के नेताओं को ग्रामीण वोट देने का वादा कर रहे हैं।

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