दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार और जेल प्रशासन को दो दिन पहले ही शहाबुद्दीन का इलाज बेहतर तरीके से कराने का निर्देश दिया था। जस्टिस प्रतिभा सिंह ने कहा था कि कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर उनकी सेहत का ख्याल रखें। इससे पहले शहाबुद्दीन की तरफ से कोर्ट में यह कहा गया था कि उनका इलाज ठीक तरीके से नहीं हो रहा है इसके साथ कोर्ट ने शहाबुद्दीन को दिन भर में दो बार घर बात करने की इजाजत भी दी थी।
शहाबुद्दीन पर करीब 30 से ज्यादा केस दर्ज थे। 15 फरवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बिहार की सीवान जेल से तिहाड़ लाने का आदेश दिया था। तिहाड़ से पहले वे बिहार की भागलपुर और सीवान की जेल में भी लंबे समय तक सजा काट चुके थे। 2018 में जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आए, लेकिन जमानत रद्द होने की वजह से उन्हें वापस जेल जाना पड़ा।
इससे पहले पिछले साल सितंबर में पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के पिता शेख मोहमद हसीबुल्लाह (90 वर्ष) का निधन हो गया था। उस वक्तर तिहाड़ में बंद पूर्व सांसद को पैरोल पर लाने की मंजूरी नहीं मिल पाई थी। हत्या के मामले में तिहाड़ जेल में आजावीन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के खिलाफ तीन दर्जन से अधिक आपराधिक मामले चल रहे थे।
तिहाड़ जेल में शहाबुद्दीन को एकदम अलग बैरक में रखा गया था। उस बैरक में शहाबुद्दीन के अलावा कोई दूसरा कैदी नहीं था। जेल के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि तिहाड़ में तीन ऐसे कैदी (शहाबुद्दीन, छोटा राजन और नीरज बवाना) हैं जिनको अलग-अलग बैरकों में अकेला रखा गया है। इनका किसी से भी मिलना-जुलना नहीं होता है। पिछले 20-25 दिनों से इनके परिजनों को भी इन कैदियों से मिलने नहीं दिया जा रहा है।
90 के दशक में विधायक और सांसद रह चुके शहाबुद्दीन बिहार में बाहुबली के तौर पर जाने जाते थे। RJD प्रमुख लालू यादव के बेहद करीबी माने जाने वाले शहाबुद्दीन कई बार विवादों में रहे। उनके ऊपर सीवान में चंदा बाबू के बेटों की हत्या का आरोप लगा और मामले में कोर्ट ने सजा भी सुनाई। पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड में भी शहाबुद्दीन का नाम सामने आया। बाद में कोर्ट के निर्देश पर शाहबुद्दीन को तिहाड़ जेल भेजा गया था।