बीजेपी ने ढूंढ ली मायावती की काट, इस सियासी हथियार के सामने बसपा चीफ भी हो जाएंगी नाकाम

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उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने अपने दांव चलने शुरू कर दिए हैं. आपको बता दें कि इस वहीँ सियासी दंगल में बीएसपी चीफ मायावती के खिलाफ बीजेपी बड़ा दांव खेलने जा रही है। आगामी यूपी विधानसभा चुनाव में उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को मायावती के खिलाफ खड़ा करने की बीजेपी की तैयारी है।

आपको बता दें कि भाजपा सूत्रों ने पुष्टि की है कि बेबी रानी मौर्य बसपा के ‘जाटव’ वोट आधार में सेंध लगाने की दिशा में काम करेंगी। अब तक, जाटव मायावती के पीछे मजबूती से रहे हैं और बेबी रानी मौर्य भी जाटव होने का दावा करती हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में जब पूर्व राज्यपाल लखनऊ पहुंचीं, तो उनका स्वागत पोस्टरों और होडिंर्ग्स से किया गया, जिसमें उनकी दलित उपजाति को प्रमुखता से दिखाया गया था।

वहीँ बता दें कि लखनऊ विश्वविद्यालय में जाटव छात्र राकेश गौतम ने कहा, ‘आखिरकार हमारे पास एक विकल्प है। अब तक मायावती के अलावा कोई जाटव नेतृत्व नहीं था।’ पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि बेबी रानी मौर्य दलितों की बड़ी आबादी वाले जिलों में रैलियों को संबोधित करेंगी। अधिकारी ने कहा, ‘अब तक हमने गैर-जाटव दलितों पर ध्यान केंद्रित किया था, लेकिन अब हम जाटवों पर भी ध्यान देंगे, क्योंकि हमारे पास जाटव नेता हैं।’

21 फीसदी दलित वोट बैंक में जाटवों का एक बड़ा हिस्सा

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के 21 फीसदी दलित वोट बैंक में जाटवों का एक बड़ा हिस्सा है। यह लगभग 11 फीसदी है और यह समुदाय मायावती की राजनीतिक यात्रा का मुख्य आधार रहा है। जाटव वोट आधार में कोई कमी बसपा के लिए बुरी खबर होगी। बेबी रानी मौर्य ने कहा, ‘मैं इस जाति में पैदा हुई थी। मेरा परिवार चमड़े और जूते का काम करता था और अब भी करता है। लगभग तीन दशकों से, मैं जाटव के रूप में भाजपा के साथ हूं।’

हालांकि बेबी रानी मौर्य की यूपी की राजनीति में एंट्री पर बीएसपी ने चुप्पी साध रखी है। अब बीजेपी के दांव से मायावती की चुनावी रणनीति बिगड़ सकती है। ऐसे में आगे क्या होगा, इस पर सभी सियासी पंडितों की नजर है।

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