साल 2014 में केंद्र के बीजेपी में आने के साथ ही पार्टी में मोदी लहर की शुरुआत हो गई। गुजरात मॉडल, जिसका विजन डॉक्युमेंट लोकसभा इलेक्शन से पहले पार्टी ने पेश किया था, जिसने भी इस लक्ष्य तक पहुंचने में खास भूमिका निभाई। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh Legislative Assembly) में सत्ता में वापसी के लिए पार्टी ने अब काशी मॉडल तैयार कर लिया है या यूं कहें तो बीजेपी को बड़ा मंत्र मिल गया है।
इस मॉडल को देश और प्रदेश में घर-घर पहुंचाने के लिए व्यापक योजना तैयार की गई है। चलो काशी का ऐलान करने वाली बीजेपी अब देश और दुनिया को दिव्य काशी- भव्य काशी की महिमा दिखाने की तैयारी चल रही है। (Uttar Pradesh Legislative Assembly)
अयोध्या के साथ-साथ काशी व मथुरा के मील के पत्थर भी संघ और बीजेपी के राजनीतिक रोडमैप (Uttar Pradesh Legislative Assembly) पर अंकित हैं। अयोध्या में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद बीजेपी मंदिर निर्माण के एजेंडे पर आगे बढ़ गई है। तो वहीं काशी के कायाकल्प की नींव 2014 में रखी गई थी जब पीएम मोदी ने इसे अपना कार्यस्थल बनाया और घोषणा की कि मुझे गंगा मां ने बुलाया है।
काशी में सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं के विकास के अलावा बहुत काम हुआ किंतु मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर था। 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री इसका उद्घाटन करने वाले हैं। इसके साथ ही काशी में एक अघोषित कुंभ भी शुरू हो जाएगा, जहां देश-दुनिया से लोग जुटेंगे। बीजेपी काशी मॉडल के जरिए चुनावी माहौल (Uttar Pradesh Legislative Assembly) बनाने की योजना बना रही है।
वाराणसी में प्रवेश करते ही उन्हें काशी विश्वनाथ मंदिर की भव्यता का अहसास होने लगेगा। चाहे वह बाबतपुर हवाई अड्डे से शहर का रास्ता हो या स्टेशन और उसके आसपास का क्षेत्र। रात में भी रंग-बिरंगी रोशनी के साथ आसमान में बाबा विश्वनाथ की प्रतिमा उभरती नजर आएगी। काशी को विश्व के धार्मिक पर्यटन मैप पर प्रमुखता से रखने की योजना है। योगी सरकार ने भी मोदी के काशी मॉडल को आकार देने पर काफी जोर दिया है। राजनीतिक विश्लेषक प्रो एपी तिवारी का कहना है कि बीजेपी भले ही हिंदुत्व के एजेंडे पर चल रही हो लेकिन उसका हिंदुत्व विकास मिला-जुला है। (Uttar Pradesh Legislative Assembly)
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