अयोध्या में रामजन्म भूमि पूजन के लिए भाजपा की ‘सर्वधर्म आमंत्रण नीति’

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अयोध्या में राम जन्मभूमि के मुद्दे ने ही भारतीय जनता पार्टी को पूरे देश भर में कट्टर हिंदुत्व की पहचान बना दी थी । 90 के दशक में भाजपा के कई दिग्गज नेताओं ने मंदिर के नाम पर ही अपनी राजनीति चमकाई और भाजपा को आगे बढ़ाया । यही नहीं पार्टी ने अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए पूरे देश भर में हिंदुओं को एकजुट भी किया ।

भारतीय जनता पार्टी का ‘जय श्री राम’ का नारा पूरे देश भर में ऐसा गूंजा कि पार्टी केंद्र की सत्ता पर भी काबिज हो गई । अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र की सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए जल्दी नहीं दिखाई । हां यह जरूर है जब-जब भाजपा को इसकी जरूरत पड़ती थी तो पार्टी के नेता मंदिर का मुद्दा उछाल दिया करते थे ।

उसके बाद वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा केंद्र सरकार पर काबिज हुई । इन 6 वर्षों में भी केंद्र और यूपी सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को अधिक तूल न देकर सारा मसला सर्वोच्च अदालत पर ही छोड़ दिया था । खैर यह सब अतीत की बातें हैं, आइए अब अयोध्या में 5 अगस्त को होने वाले राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास के बारे में चर्चा की जाए ।

अयोध्या में कल होने वाले भूमि पूजन को लेकर भाजपा सरकार फिर उत्साहित हैं । राम जन्म भूमि के ऐतिहासिक कार्यक्रम में भाजपा देश और दुनिया को सर्व धर्म का संदेश भी देना चाहती है, इसी बहाने पार्टी अपने कट्टर हिंदुत्व एजेंडे को कम करना चाहती है ।

भाजपा ने राम जन्म भूमि पूजन में सभी धर्मों के लोग बुलाए हैं—

भाजपा ने अयोध्या में होने वाले भूमि पूजन के लिए सभी धर्मों को आमंत्रण भेजा है । शिलान्यास के इस कार्यक्रम में हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, आर्य समाजी, मुस्लिम सभी धर्मों के लोग आ रहे हैं । 175 लोगों को आमंत्रण कार्ड भेजा गया है । कार्यक्रम में पूरे भारत की 36 अध्यात्मिक परंपराओं के 135 संतों को बुलाया गया है ।

नेपाल से भी कई संतों को बुलाया गया है । सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी को भी न्योता दिया है । इसके अलावा मोहम्मद शरीफ को भी बुलाया है, जो लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करते हैं । हम आपको बता दें कि ट्रस्ट की ओर से सबसे पहला न्योता इकबाल अंसारी को दिया गया था ।

इकबाल अंसारी भूमि पूजन के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत भी करेंगे । इनके साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत को विशिष्ट अतिथि के तौर पर बुलाया गया है । राम मंदिर के भूमि पूजन पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुईं हैं । ऐसे में भाजपा सरकार अयोध्या में भूमि पूजन को लेकर संदेश भी देना चाहती है कि हिंदुत्व के साथ हम सर्व धर्म को भी साथ लेकर चलेंगे ।

शिलान्यास कार्यक्रम में इन दिग्गजों को किया दरकिनार—

जैसे कि पहले कयास लगाए जा रहे थे कि लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, पूजन में मौजूद रहेंगे लेकिन अब इन सभी को आमंत्रित पत्र नहीं दिया गया है इसका सबसे बड़ा कारण कोरोना महामारी और इनकी बढ़ती आयु को बताया जा रहा है । यही नहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता और अयोध्या मैं मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष करने वाली उमा भारती को भी आमंत्रण पत्र नहीं भेजा गया है ।

विनय कटियार को भी भूमि पूजन शिलान्यास से दूर रखा गया है । हालांकि इस बारे में भाजपा का कहना है कि इनके लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था की जा रही है । इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी नहीं आ रहे हैं । श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने देश की सभी परंपराओं के संतों और अन्य लोगों समेत 175 लोगों को भूमि पूजन समारोह के लिए आमंत्रित किया है।

अतिथियों का आना शुरू हो चुका है। मंदिर भूमि पूजन के लिए अयोध्या जगमगा रही है । पिछले 2 दिनों से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने में जुटे हुए हैं ।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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