1983 वर्ल्डकप फाइनल में जीत का कारण बना था ये गेंदबाज, बदल दिया था मैच का रूख

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नई दिल्ली॥ 1983 में वर्ल्डकप फाइनल में जीत का कारण बना था ये गेंदबाज, बदल दिया था मैच का रूख। आई ये जानते हैं उस भारतीय क्रिकेटर के बारे में, जिन्हों शायद ही कोई जानता हो।

Balwinder Singh Sandhu

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बलविंदर सिंह संधू का क्रिकेट करियर बहुत छोटा रहा, मगर 37 साल पहले इंडिया की वर्ल्ड कप जीत में इस मध्यम गति के तेज गेंदबाज का योगदान आज भी चौंकाता है। 1983 की WC विजेता इंडिया में शामिल रहे संधू ने धारदार गेंदबाजी से अपने कप्तान को कभी निराश नहीं किया। पूरे वर्ल्ड कप के दोरान इंडिया का ये ‘ब्रेकथ्रू स्पेशलिस्ट’ हिट रहा।

वेस्टइंडीज के विरूद्ध विश्वकप फाइनल की बात करें, तो कृष्णमाचारी श्री कांत के 38 (मैच बेस्ट) रन, मिड ऑन से मिड विकेट की ओर भागते हुए कपिल देव द्वारा विव रिचर्ड्स के कैच के अलावा मोहिंदर अमरनाथ की जादुई गेंदबाजी (12/3) यादगार साबित हुई। लेकिन, जब भी फाइनल के ‘मैजिक मोमेंट’ की बात की जाती है, तो इस मुंबइया बॉलर संधू का प्रदर्शन भुला दिया जाता है।

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ये वही संधू हैं, जिन्होंने 184 रनों के छोटे टारगेट का पीछ करने उतरी वेस्टइंडीज टीम के धुरंधर ओपनर गॉर्डन ग्रीनिज (1 रन) को बोल्ड कर भारत को पहली सफलता दिलाई थी। दरअसल, उस मैच में इंडिया को शुरुआती ब्रेकथ्रू की आवश्यकता थी, जिसे संधू ने पूरा किया और वह अपने कप्तान के भरोसे पर खरे उतरे थे।

सबसे बढ़कर, संधू के इन-स्विंगर से अनजान ग्रीनिज वर्ल्ड कप के दौरान दूसरी बार उनका शिकार बने। दोनों ही बार संधू ने उन्हें बोल्ड किया। और फाइनल के इस झटके ने वेस्टइंडीज की पारी की शुरुआत ही खराब कर दी। कपिल देव भी संधू से यही उम्मीद करते थे। उन्होंने संधू से कहा था कि आप सिर्फ ब्रेकथ्रू दिलाओ।।।आगे हम देख लेंगे।

आपको बता दें कि फाइल में इन्होंने गॉर्डन ग्रीनिज (1 रन) को बोल्ड किया। पहला विकेट 5 के स्कोर पर गिरा। 184 रनों के टारगेट का पीछा करते हुए इंडीज की टीम 140 रनों पर सिमट गई। इंडिया ने वो फाइनल मैच 43 रनों से जीत लिया।

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